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चीन के 'आक्रामक' रुख के बीच भारत ने बॉर्डर के करीब सैनिक भेजना शुरू किया

इस एक्सरसाइज के लिए भारतीय सेना ने इस इलाके और जलवायु के अनुरूप ट्रैनिंग ले चुके सैनिकों को डोकलाम इलाके के आसपास तैनात कर दिया है. मिलेट्री-भाषा में इसे ‘ईनहेंसड बॉर्डर मिलेट्री’ पोस्ट्चर यानि बीएमपी कहा जाता है.

नई दिल्ली: डोकलाम में चीन से चल रही तनातनी और चीन से लगातार मिल रही युद्ध की धमकी के बीच के बीच भारतीय सेना ने भी अब सिक्किम सेक्टर में अब आक्रमक रुख अपनाते हुए सैनिकों को बॉर्डर के करीब भेजना शुरु कर दिया है. साथ ही हर साल सिक्किम सेक्टर में सितबंर-अक्टूबर महीने में होने वाले सालाना युद्धभ्यास को एक महीना पहले ही शुरु कर दिया है. इस एक्सरसाइज के लिए भारतीय सेना ने इस इलाके और जलवायु के अनुरूप ट्रैनिंग ले चुके सैनिकों को डोकलाम इलाके के आसपास तैनात कर दिया है. मिलेट्री-भाषा में इसे ‘ईनहेंसड बॉर्डर मिलेट्री’ पोस्ट्चर यानि बीएमपी कहा जाता है.

सूत्रों की मानें तो जरुरत पड़ी तो भारतीय सेना’ऑगमेंटेड वीएमपी पोस्ट्यर’ भी अपना सकती है.ये ईनहेंसड बीएमपी की अगली स्टेज होती है. सूत्रों की मानें तो डोकलाम इलाकें में अभी भी भारत के करीब 350 सैनिक मौजूद हैं. 16 जून से ये सैनिक वहीं पर टेंट गाड़कर रह रहे हैं. चीन के भी करीब इतने ही सैनिक वहां पर टेंट गाड़कर रह रहे हैं. दोनों देशों के सैनिकों के बीच करीब 100 मीटर की दूरी है. लेकिन दोनों ही देशों की सेनाओं ने डोकलाम में विवादित इलाके के पीछे सैनिकों का जमावड़ा करना शुरु कर दिया है.

हालांकि भारतीय सेना ने आधिकारिक तौर से सेना के युद्धभ्यास और ऑगमेंटेड बीएमपू पोस्टयर पर कुछ भी कहना से साफ इंकार कर दिया. सेना का अभी भी कहना है कि डोकलाम में पिछले कुछ दिनों में कोई बदलाव नहीं आया है. वहांपर 16 जून से स्टेट्स-क्यो है. साथ ही सेना के एक उच्चपदस्थ अधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि फिलहाल भारत और चीन के बीच व्यापार भी बंद नहीं हुआ है. जबकि दो देशों के बीच अगर युद्ध जैसी परिस्थिति बनती है तो सबसे पहले व्यापार ही बंद कर दिया जाता है. लेकिन 16 जून के बाद डोकलाम में शुरु हुए विवाद के बाद भी दोनों देशों के बीच में व्यापार पहले की तरह ही चल रहा है. ऐसे में फिलहाल युद्ध जैसी नौबत नहीं आई है.

सिक्किम सेक्टर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय सेना की 33वें कोर की है. सिलीगुड़ी इलाके के सुकना में भारतीय सेना की 33वीं कोर का मुख्यालय है. जिसकी तीन डिवीजन अकेले सिक्किम सेक्टर में चीन सीमा की रखवाली करती हैं. ये तीन डिवीजन हैं गंगटोक स्थित 17वीं डिवीजन, कलीमपोंग स्थित 27वीं डिवीजन और वनागुडी स्थित 20वीं डिवीजिन. फिलहाल वेनीगुडी स्थित 20वीं डिवीजन के सैनिक ही डोकलाम में तैनात हैं. हालांकि एबीपी न्यूज को ये भी जानकारी है कि वहां पर कौन सी 03 रेजीमेंट तैनत है. लेकिन सुरक्षा कारणों से हम आपको ये नहीं बताएंगे. आपको ये भी बता दें कि भारतीय सेना की एक पूरी आर्मर्ड ब्रिगेड यानि टैंक ब्रिगेड भी यहां तैनात है.

आज भारत और चीन के सैनिकों की बात करें तो ये अनुपात करीब-करीब 1:1.76 का है. भारतीय सेना की नई माउंटन स्ट्राइक कोर सिर्फ और सिर्फ चीन से लड़ने के लिए तैयार की जा रही है. ब्रह्मास्त्र के नाम से जाने जाने वाली इस स्ट्राइक कोर का मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में है, जो उस ट्राइ-जंक्शन से बेहद करीब है जहां फिलहाल भारत और चीन के बीच मौजूदा विवाद चल रहा है. इस कोर के सैनिक लद्दाख से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक फैली चीन की सीमा पर फैले होंगे. युद्ध की परिस्थिति में दुश्मन की सीमा में घुसकर मारने की क्षमता रखती है ये स्ट्राइक कोर.

ट्राई-जंक्शन 1. भारत और चीन के बीच डोकलाम इलाके के अलावा भी पांच (05) ट्राई जंक्शन हैं. डोकलाम भारत-चीन और भूटान के बीच है.

2. नार्थ सिक्किम प्लैट्यू—भारत, चीन और नेपाल के बीच

3. काला-पानी---भारत चीन और नेपाल के बीच

4. जेर्चकांगसू---भारत, चीन और भूटान के बीच. ये इलाका अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट-क्यूमिंग जिले में है. यही पर सुमद्रांगछू इलाका है जहां पर 1987 में भारत और चीन के बीच एक लंबा फेसऑफ हुआ था.

5. काराकोरम पास—भारत चीन और पाकिस्तान के बीच है. शगछम वैली के करीब वाले इसे इलाके को ही 1962 के युद्ध के बाद पाकिस्तान ने चीन को दे दिया था. ये अक्साई चिन के पास वाला इलाका है.

6. छठा ट्राइ जंक्शन पंगसू---भारत चीन और म्यांमार के बीच अरूणाचल प्रदेश में

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