नई दिल्ली: सेना के दो पूर्व कमांडरों ने कहा कि चीन के कदमों से ऐसा लगता है कि भविष्य में डोकलाम जैसी और घटनाएं हो सकती हैं और इससे निपटने की तैयारी के लिए भारतीय सेना को प्रभावित बॉर्डर के इलाकों में आधारभूत संरचना बनाने की आवश्यकता है.


डोकलाम में भारत और चीन के बीच गतिरोध के दौरान सेना के पूर्वी कमांड का नेतृत्त्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) प्रवीण बख्शी ने कहा कि वो सरकार के आभारी हैं क्योंकि सरकार ने उन्हें इसे लेकर कदम उठाने की पूरी स्वतंत्रता दी थी जो चीनी सैनिकों को रोकने के लिए उचित कदम रहा.


पूर्व उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा (सेवानिवृत्त) ने पिछले कुछ सालों में भारत और चीन सैनिकों के बीच डोकलाम, चुमार और डेमचोक गतिरोध के बारे में बात करते हुये कहा कि तीनों घटनाएं अलग-अलग हैं और उनके पीछे का मकसद भी अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इन सबसे एक समान पैटर्न उभर कर निकला है. इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ‘डोकलाम रीविजिटेड’ नामक विषय पर संगोष्ठी के दौरान उन्होंने यह बात कही.


73 दिनों तक चला था डोकलमा विवाद
डोकलाम में तब बेहद असहज स्थिति पैदा हो गई थी जब पिछले साल दोनों देशों की सेनाएं 73 दिन तक एक-दूसरे के सामने डटी रहीं थीं. 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक खबर के मुताबिक चीन ने यहां पर 1.3 कीलोमीटर लंबी सड़क बना ली है. हालांकि, भारतीय सेना की तरफ से अभी भी इस नई सड़क के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. लेकिन सूत्रों की मानें तो ये सड़क भी चीन दक्षिणी डोकलाम तक पहुंचने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है. ऐसे में पूर्व कमांडरों का सड़क जैसी आधारभूत संरचना पर ज़ोर देने पर देश को ध्यान देना चाहिए.


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