भारत के चार अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष में जाना है. इन सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में एक साल का अपना प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. रूस से लौटने के बाद ये सभी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के डिजाइन किए गए ट्रेनिंग मॉड्यूल से ट्रेनिंग लेंगे. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अब इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों को गगनयान के माध्यम से अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. रूस में अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष की परस्थितियों के अनुसार ढलने की ट्रेनिंग दी गई है.


भारत में होगी ट्रेनिंग
भारत में ट्रेनिंग के तीन मुख्य भाग होंगे. ऑवरऑल प्रोजेक्ट पर एक मॉड्यूल, चालक दल के सदस्यों के लिए एक मॉड्यूल और फ्लाइट हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर पर एक मॉड्यूल. इसरो के ह्यूमन स्पेसलाइट सेंटर के डायरेक्टर डॉ उन्नीकृष्णन नायर पहले ही बता चुके हैं कि चार अंतरिक्ष यात्री, जिन्हें भारतीय वायु सेना के पायलटों के एक पूल से चुना गया था, वर्तमान में रूस में जीसीटीसी (यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर) में बेसिक ट्रेनिंग ले रहे हैं.'' फिलहाल रूस में ट्रेनिंग खत्म हो चुकी है और अब अंतरिक्ष यात्री भारत में स्पेसिफिक ट्रेनिंग लेंगे जिसके लिए सिमुलेटर को डिफाइन किया गया है.





पीएम मोदी ने की थी घोषणा
मानव रहित गगनयान मिशन को इसी साल दिसंबर में लॉन्च किया जाएगा. ये जानकारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने दौरान दी थी. इससे पहले इस मिशन को दिसंबर 2020 में शुरू किया जाना था लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण इसे टाल दिया गया था. देश के पहले मानव मिशन गगनयान प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग 9023 करोड़ रुपए है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2018 में 15 अगस्त के भाषण में देश के पहले मानव मिशन को लॉन्च करने की घोषणा की थी.


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