नई दिल्ली: दुनिया की टॉप 100 हथियार बनाने वाली कंपनियों में भारत की तीन बड़ी सरकारी कंपनियां शुमार हो गई हैं. ग्बोबल थिंकटैंक, सिपरी के मुताबिक, ये कंपनियां हैं एचएएल, ओएफबी और बीईएल. हालांकि रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इन तीनों कंपनियों की बिक्री में पिछले साल के मुकाबले करीब 7 फीसदी की कमी आई है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने हथियारों की सप्लाई करने वाली दुनियाभर की 100 बड़ी कंपनियां की लिस्ट जारी की है. सिपरी के मुताबिक, इन 100 बड़ी कंपनियों ने साल 2018 में कुल 420 बिलियन डॉलर का कारोबार किया. टॉप 5 (फाइव) यानि पांच सबसे बड़ी कंपनियां अमेरिका की हैं- लॉकहीड मार्टिन, बोइंग, नार्थरोप-ग्रुममैन, रेथियोन और जनरल डायनेमिक्स कॉरपोरेशन.
सिपरी ने इस लिस्ट में स्वदेशी और विदेशी दोनों तरह के हथियारों को सप्लाई करने वाली कंपनियों को इस लिस्ट में शामिल किया है. सिपरी के मुताबिक, टॉप 100 में भारत की भी तीन कंपनियों ने अपना नाम दर्ज कराया है. इनमें स्वेदशी लड़ाकू विमान, एलसीएच तेजस और रूसी फाइटर जेट, सुखोई बनाने वाली सरकारी कंपनी, हिंदुस्तान एरोनोटिक्स लिमिटेड यानि एचएएल 38वें स्थान पर है. जबकि भारतीय सेना के लिए तोप और टैंक बनाने वाली कंपनी, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) 56वें स्थान पर हैं. जबकि आकाश मिसाइल सहित सेना के तीनों अंगों के लिए रडार और इलेक्ट्रोनिक वॉरफेयर सिस्टम तैयार करने वाली डिफेंस पीएसयू, बीईएल (भारत इलेक्ट्रोनिक लिमिटेड) 62वें स्थान पर है.
सिपरी द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, एचएएल का साल 2018 में टर्नओवर 2.7 बिलियन डॉलर यानि करीब (19000 करोड़ रूपय़े) था, जबकि ओएफबी का 1.7 बिलियन डॉलर था और बीईएल का 1.5 बिलियन डॉलर था. इन तीनों कंपनियों का शेयर कुल 100 बड़ी कंपनियों में 1.4 प्रतिशत है, जो दक्षिण कोरिया से ऊपर था. एशिया में भारत और दक्षिण कोरिया (की 3 कंपनियों) के अलावा जापान की भी पांच और सिंगापुर की एक कंपनी ग्लोबल आर्म्स लिस्ट में नाम दर्ज करा पाई हैं. सिपरी के मुताबिक, चीन की कंपनियों को इस सर्वे से अलग रखा गया है.
सर्वे में नंबर बन कंपनी, एफ-16 जैसे फाइटर जेट बनाने वाल अमेरिकी कंपनी, लॉकहीड मार्टिन है जिसका सालाना टर्नओवर करीब 47.3 बिलियन डॉलर है. सिपरी की मानें तो अमेरिका की पांच सबसे बड़ी कंपनियों ने दुनियाभर के हथियारों की खरीद पर 59 प्रतिशत अधिकार है. इसके बाद रूस का हिस्सा है (8.6 प्रतिशत) जबकि इंग्लैंड का हि्स्सा 8.4 प्रतिशत है. रफाल लड़ाकू विमान बनाने वाली फ्रांसीसी कंपनी, दसॉ 2.9 बिलियन डॉलर के साथ इस लिस्ट में 34वें स्थान पर है. लेकिन सर्वे की मानें तो जहां 2017 के मुकाबले अमेरिका, इजरायल, फ्रांस और दक्षिण कोरिया का ग्लोबल आर्म्स सेल्स में हिस्सा बढ़ा है, वहीं भारत का प्रतिशत कम हुआ है (6.9 प्रतिशत गिरा है). रूस, जर्मनी और इंग्लैंड का हिस्सा भी गिरा है.
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