Defence News: पाकिस्तानी ड्रोन (Pakistani Drones) को अपने जाल में फंसाने के लिए भारत की एक स्वदेशी कंपनी ने ड्रोन-डिफेंडर (Drone Defender) नाम का एक एंटी ड्रोन सिस्टम (Anti Drone System) तैयार किया है. ये एंटी-ड्रोन सिस्टम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित है, लेकिन ये दुश्मन के ड्रोन को जाल में पकड़ने की तकनीक का इस्तेमाल करता है. जैसे कोई शिकारी बाज या चील को नेट (जाल) से पकड़ता है, वैसे ही इस ड्रोन-डिफेंडर से दुश्मन के ड्रोन को नेट के जरिए पकड़कर नीचे लाया जाता है. एबीपी न्यूज़ आज आपको इस ड्रोन-डिफेंडर की एक्सक्लूसिव जानकारी देने जा रहा है.


पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पर ड्रोन से हथियार और ड्रग्स‌ की तस्करी लगातार बढ़ती जा रही है. इसके अलावा कुछ समय से ड्रोन से हमले का खतरा भी बढ़ा है. ड्रोन के खतरों से निपटने के लिए दिल्ली स्थित एक स्वदेशी कंपनी, नियो-स्काई ने 'ड्रोन-डिफेंडर' सिस्टम तैयार किया है. ड्रोन-डिफेंडर में एक लॉन्चर लगा है, जैसे ही ड्रोन इसके पास आएगा तो इसमें लगा नेट खुद ही इसे अपने जाल में फंसा लेगा. ये नेट करीब 30x30 फीट का है. इस ड्रोन डिफेंडर की रेंज करीब 20 किलोमीटर है.


क्या है इस एंटी-ड्रोन सिस्टम की खासियत?


इस 'ड्रोन डिफेंडर' को नियो-स्काई कंपनी ने बेंगलुरू की एक ड्रोन कंपनी टीएएस के साथ मिलकर तैयार किया है. नियो स्काई के सीईओ शरथ ने एबीपी न्यूज‌ से खास बातचीत में बताया कि ये एंटी-ड्रोन सिस्टम सॉफ्ट-किल के जरिए रोग-ड्रोन को न्यूट्रेलाइज करता है. फिलहाल बीएसएफ और दूसरे सुरक्षाबल सीमा पर पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन को किसी गन के जरिए नीचे गिराते हैं. डीआरडीओ ने जो एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार किया है वो लेजर तकनीक पर आधारित है. 




सुरक्षा एजेंसियों के लिए होगा मददगार 


मौजूदा एंटी-ड्रोन सिस्टम काफी मंहगा होता है. इसके अलावा ये ड्रोन को नष्ट करने की तकनीक पर आधारित हैं, ऐसे में दुश्मन के ड्रोन का डाटा और उससे जुड़ा अहम डाटा नष्ट हो जाता है, लेकिन ड्रोन-डिफेंडर बेहद ही किफायती एंटी ड्रोन सिस्टम है. इसमें 70 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे हैं. इसमें लगे नेट यानी जाल की कीमत मात्र हजार रूपये हैं. इसके अलावा नेट में फंसाकर दुश्मन के ड्रोन को आराम से नीचे लाया जा सकता है. ऐसे में इसका डाटा नष्ट नहीं होता, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद अहम है.


इन ड्रोन को मार गिराने में कारगर


ड्रोन डिफेंटर को तैयार करने वाली बेंगलुरू की कंपनी, टीएएस के सीईओ, नागेंद्रन ने एबीपी न्यूज को बताया कि स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम पांच किलो तक के रोग-ड्रोन को आसानी से अपने जाल में फंसा सकता है. इसके अलावा ये कॉम्बेट-ड्रोन यानी अटैक ड्रोन को भी अपने जाल में फंसा सकता है. इस ड्रोन डिफेंटर में 30 फीट लंबा और 30 फीट चौड़ा जाल लगा है. ऐसे में ये दुश्मन के स्वार्म-ड्रोन को भी मार गिराने में कारगर है. टीएएस कंपनी शुरु करने से पहले नागेंद्रन बोइंग और एचएएल में काम कर चुके हैं. टीएएस को रक्षा मंत्रालय से ड्रोन बनाने का लाईसेंस मिल चुका है.


सुरक्षाबलों से संपर्क करेगी कंपनी 


नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री और पूर्व थल सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने नियो स्काई के ड्रोन-डिफेंडर को एक कंपनी में लॉन्च किया. मंगलवार यानी बीते दिन कंपनी ने मीडिया के सामने इसे पेश किया था. कंपनी के मुताबिक ड्रोन डिफेंडर को बनाने में करीब 8 महीने का समय लगा. ये देश में अपने आप का एक अनूठा एंटी ड्रोन सिस्टम है. हालांकि विदेश में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल हो चुका है. कंपनी के मुताबिक, वे जल्द ही सुरक्षाबलों से संपर्क कर इस ड्रोन-डिफेंटर के अधिग्रहण पर बातचीत करेंगे. 


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