Constitution of India: संविधान का निर्माण कैसे हुआ इसको लेकर हम आपको पहले ही बता चुके हैं. अब आज हम आपको हमारे देश की संविधान की विशेषताओं के बारे में बताएंगे. आज हम भारत के संविधान की उन विशेषताओं की बात करेंगे जो इसे दुनिया के दूसरे देशों के संविधान से अलग बनाती हैं. भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है. हमारे विद्वान संविधान निर्माताओं ने कोशिश कोई भी बात भविष्य में व्याख्या या विश्लेषण के लिए नहीं छोड़ी. देश चलाने में स्पष्टता के लिए जिन बातों की जरूरत थी, उन सबको संविधान में जगह दी.


क्या है भारतीय संविधान की विशेषता


1-भारत के संविधान की एक खासियत है कि ये लिखित है. यूनाइटेड किंगडम में लिखित संविधान नहीं है. वहां, परंपरा के तहत चली आ रही बातों का पालन किया जाता है. कई देशों के संविधान में बदलाव संभव नहीं है. जबकि, कई देशों के संविधान में आसानी से बदलाव किया जा सकता है. भारत में इसके बीच की व्यवस्था है. संविधान का मौलिक ढांचा, जैसे – संविधान की सर्वोच्चता, संसदीय लोकतंत्र, स्वतन्त्र न्यायपालिका जैसी बातों को नहीं बदला जा सकता. लेकिन अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग प्रक्रिया के तहत बदलाव किया जा सकता है.


2-भारतीय संविधान में बदलाव तीन तरह से हो सकता है. साधारण बहुमत से, विशेष बहुमत से और विशेष बहुमत के साथ ही आधे राज्यों के अनुसमर्थन के जरिये. हम कह रहे हैं भारतीय संविधान कुछ लचीला है, कुछ कठोर है. भारतीय संविधान में 3 ऐसे अनुच्छेद हैं, जिनमें हम आसानी से परिवर्तन कर सकते हैं, उस पोर्शन को हम कहते हैं लचीलापन.


3-ब्रिटेन में पूरी तरह से केंद्रीय शासन है. वहां देश के सभी हिस्सों में केंद्र के प्रतिनिधि ही काम करते हैं. जबकि अमेरिका में संघीय ढांचा है. वहां पर राज्यों को बहुत ज्यादा स्वायत्तता हासिल है. भारत में संघीय ढांचा तो है, लेकिन उसका झुकाव केंद्र की तरफ रखा गया है. भारत जैसे विशाल और विविधता वाले देश में संविधान निर्माताओं ने इसकी जरूरत समझी. यही वजह है कि राज्य कई मामलों में अपने हिसाब से कानून बनाते हैं, प्रशासन चलाते हैं. लेकिन केंद्र अगर जरूरी समझे तो किसी राज्य सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लगा सकता है.


4-भारत में एकल नागरिकता व्यवस्था है. सभी लोग भारत के नागरिक होते हैं. किसी राज्य का नागरिक नहीं होते. नागरिकों को देश के कुछ हिस्सों को छोड़कर कहीं भी आने-जाने, बसने और व्यवसाय करने की स्वतंत्रता हासिल है.


5- भारतीय संविधान की एक और विशेषता है वयस्क मताधिकार. 18 साल या उससे अधिक उम्र के हर नागरिक को मतदान के ज़रिए अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है. यहां धर्म, जाति, भाषा, प्रांत, लिंग आदि के भेदभाव के बिना हर नागरिक को वोट की शक्ति दी गई है. सब के वोट का महत्व एक बराबर है.


6- भारत में राष्ट्रपति और संसदीय दोनों प्रणाली लागू है. भारत में राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं. लेकिन असल में देश का नेतृत्व संसद के निचले सदन में बहुमत का समर्थन पाने वाले प्रधान मंत्री करते हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति के पास अपार शक्तियां हैं. वो किसी भी नागरिक को मंत्री बना सकते हैं. लेकिन भारत में सांसदों के बीच से ही मंत्री चुने जाते हैं. और एक सांसद ही प्रधानमंत्री होता है.


7-ब्रिटेन में भी पार्लियामेंट्री सिस्टम है लेकिन वहां की हेड क्वीन है. क्वीन की जगह पर हमारे देश में राष्ट्रपति कर दिया गया. भारत में राजशाही नहीं है. यहां किसी राज परिवार का व्यक्ति अपने जन्म के आधार पर देश का सर्वोच्च पद हासिल नहीं करता. देश का सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का है, जिसके लिए चुनाव होता है. पद की योग्यता पूरी करने वाला कोई भी नागरिक राष्ट्रपति बन सकता है.


8-संसद और न्यायपालिका के बीच काम का बंटवारा भारतीय संवैधानिक व्यवस्था का एक बहुत अहम हिस्सा है. कई देशों में संसद की शक्ति अपार होती है. न्यायपालिका भी उस पर नियंत्रण नहीं लगा सकती. लेकिन भारत में ऐसा नहीं है. संसद को कानून बनाने का अधिकार दिया गया है. पर हर कानून की समीक्षा न्यायपालिका कर सकती है. अगर कानून संविधान के दायरे के बाहर है तो उसे निरस्त भी कर सकती है.


9- स्वतंत्र और स्वायत्त न्यायपालिका भारतीय संविधान की एक बड़ी विशेषता है. संविधान के निर्माताओं ने इस बात को सुनिश्चित किया कि न्यायपालिका बिना किसी बाहरी दखल के अपना काम कर सके.


10- भारतीय संविधान में नागरिकों के अधिकार पर बहुत ध्यान दिया गया है. यहां तक कि जो वीकेस्ट पर्सन ऑफ द कंट्री है, उसके लिए तक व्यवस्था की गई है. जहां पर भी कमी हुई, उससे समय समय पर अमेंड किया गया और कोशिश यह की गई कि इस देश का जो सबसे कमजोर व्यक्ति है, उसके भी अधिकारों की रक्षा की जाए. भारत के हर नागरिक को मौलिक अधिकार देना संविधान की सबसे बड़ी विशेषता है. मौलिक अधिकार वह अधिकार है, जो हर नागरिक को हासिल है. इनका हनन नहीं किया जा सकता है. अगर सरकार के किसी कदम से किसी नागरिक के मौलिक अधिकार का हनन होता है, तो सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है. मौलिक अधिकार मसलन- कानून की नजर में बराबरी; अपनी बात कहने की आजादी; देश में कहीं भी जाने, बसने की आजादी; सम्मान से जीवन जीने की स्वतंत्रता आदि भारत में हर नागरिक को हासिल है हालांकि, हर अधिकार की सीमा भी संविधान में तय को गई है.