Zika Virus News: इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) की जीका वायरस (Zika Virus) को लेकर की गई स्टडी सामने आई है. इसमें कहा गया है कि भविष्य में जीका वायरस के कहर को रोकने के लिए सक्रिय मानव (Human) और कीटविज्ञानी (Entomological) निगरानी की जरूरत है. केरल में फैले जीका वायरस की पहली रिपोर्ट आईसीएमआर और  एनआईवी ने जारी की थी. इसमें बताया गया था कि जितने भी जीका वायरस के केस पिछले साल केरल में मिले थे, उनमें से किसी भी मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी. इन सभी मरीजों का लिंक सामुदायिक प्रसार से जुड़ा था.


इस स्टडी में कहा गया है कि देश के अन्य हिस्सों में जीका वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए एक्टिव रूप से ह्यूमन और एंटोंमोलॉजिकल सर्विलांस करने की जरूरत है. अगर ऐसा किया गया तो भविष्य में इस वायरस के खतरे को रोका जा सकेगा. केरल में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान जीका वायरस के कुछ केस रिपोर्ट किए गए थे. इस इसकी वजह से राज्य के पब्लिक हेल्थ सिस्टम पर बोझ बढ़ गया था.


स्टडी में कहा गया है कि भारत ने केरल राज्य (11.6 प्रतिशत) में राष्ट्रीय औसत 21.9 प्रतिशत की तुलना में उच्च सर्पोप्रवलेंस का प्रदर्शन किया. यह डेटा राज्य द्वारा अपनाई गई मजबूत निगरानी की प्रभावशीलता को प्रदर्शित करता है. इसी तरह केरल राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी और सक्रिय निगरानी ने स्वास्थ्य कर्मियों के बीच जीका मामलों की समय पर पहचान करने में मदद की है. पिछले साल भारत में केरल, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में जीका वायरस के मामले दर्ज किए थे. जीका वायरस (ZIKV) डिजीज (ZVD) को ब्राजील में 2016 के बाद के प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य रोगों में से एक माना जाता है. साल 1947 में युगांडा के जीका जंगल से इसकी खोज के बाद से अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत द्वीप समूह से ZVD के कई प्रकोपों ​​​​की जानकारी मिलती रहती है.


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