ICHR On Muslim Dynasty: शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) ने मध्यकालीन भारतीय डायनेस्टी पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया. इस प्रदर्शनी में 50 विभिन्न राजवंशों पर प्रकाश डाला गया. हालांकि, प्रदर्शनी में किसी भी मुस्लिम राजवंश (Dynasty) को शामिल नहीं किया गया था. 


मुस्लिम राजवंश बहमनी और आदिल शाही को प्रदर्शनी का हिस्सा नहीं बनाने पर आईसीएचआर के सदस्य सचिव प्रोफेसर उमेश अशोक कदम ने कहा कि वह मुस्लिम राजवंशों को भारतीय राजवंशों के रूप में नहीं मानते हैं. कदम ने इंडिया टुडे को बताया, "वे लोग (मुस्लिम) मध्य पूर्व से आए थे और भारतीय संस्कृति से उनका सीधा जुड़ाव नहीं था."


'उन्होंने हमारी सभ्यता को उखाड़ फेंका'


कदम ने कहा, "मध्य काल में इस्लाम और ईसाई धर्म भारत में आए और सभ्यता को उखाड़ फेंका और ज्ञान प्रणाली को नष्ट कर दिया." वहीं प्रदर्शनी का उद्घाटन करने वाले शिक्षा राज्य मंत्री राजकुमार रंजन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों से "कोलोनियल हैंगओवर" को दूर करने के लिए कहा था. सिंह ने कहा कि आजादी से स्वराज तक की यात्रा में हमें इतिहास को रिफाइन करना चाहिए."


50 राजवंशों को प्रदर्शनी में शामिल किया गया


बता दें कि प्रदर्शनी में देश के सभी कोनों से 50 राजवंशों को शामिल किया गया है, जिनमें अहोम, चोल, राठौड़, यादव और काकतीय शामिल हैं. यह उनके संस्थापकों, राजधानी शहरों, समयरेखा और वास्तुकला, कला, संस्कृति और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में भारत में योगदान पर केंद्रित है. ICHR ने कहा है कि भारत के अनछुए अतीत से लोगों को अवगत कराने के उद्देश्य से जल्द ही देश भर के शिक्षण संस्थानों में प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा.


6 फरवरी तक चलेगी प्रदर्शनी


गौरतलब है कि ICHR ने दिल्ली में ललित कला अकादमी में 'मध्यकालीन भारत की महिमा: अज्ञात भारतीय राजवंशों की अभिव्यक्ति, 8वीं-18वीं शताब्दी' पर प्रदर्शनी का आयोजन किया था. प्रदर्शनी छह फरवरी तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी.


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