NGO वाले उठा ले गए, नहीं दे रहे वापस, जर्मनी में अपनी 2 साल की बेटी को गले लगाने के लिए तरस रहा भारतीय कपल
Ariha Shah Case: कोर्ट के आदेश के बाद जर्मनी की चाइल्ड केयर संस्था को बच्चे की कस्टडी देनी थी, लेकिन चाइल्ड केयर संस्था की मनमानी के चलते ऐसा नहीं हुआ.
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Parents Battle For Custody Of Daughter In Germany: हर व्यक्ति की यही चाहत होती है कि वह जीवन में खूब सफलता पाए और तरक्की करें. उसके पास वो सब कुछ हो जिसका उसने सपना देखा था. ऐसे ही अपने उज्वल भविष्य का सपना लेकर एक दंपत्ति भारत से जर्मनी गए थे, लेकिन उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. दंपति की दुनिया उस वक्त बिखर गई जब पहली बार मां-बाप बने धरा शाह और भावेश शाह की सात महीने की बच्ची अरिहा शाह को जर्मनी के चाइल्ड केयर संस्था के लोग अपने साथ लेकर चले गए. बेबी अरिहा शाह पिछले दो सालों से वहीं हैं.
जानकारी के मुताबिक सात महीने की अरिहा जब खेल रही थी तब उसके प्राइवेट पार्ट में चोट लग गई थी. जिसकी वजह से धरा और भावेश बच्चे को अस्पताल लेकर गए जहां उनपर आरोप लगा कि बच्ची का यौन शोषण हुआ है. जिसके बाद अरिहा को फोस्टर केयर भेज दिया गया. भावेश पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर है. उन्होंने इस बात की रिपोर्ट पुलिस में कराई, जिसके बाद अस्पताल और पुलिस रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की कि अरिहा के साथ कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ, लेकिन फिर भी अरिहा को चाइल्ड केयर संस्था ने नहीं दिया. उन्होंने अरिहा को यह कहकर रखा है कि उसके सॉफ्टवेयर इंजीनियर पिता भावेश और मां धरा बच्चे की अच्छी देखभाल नहीं कर सकते हैं.
2021 के बाद से ही यह परिवार लड़ रहा है कानूनी जंग
भारतीय दंपति धरा और भावेश अरिहा को अपने हाथ से खाना खिलाते थे, लेकिन आज वह अपनी बेटी को गोद में लेने के लिए भी दर-दर भटक रहे है. सितंबर 2021 के बाद से ही यह परिवार अरिहा की कस्टडी के लिए कानूनी जंग लड़ रहा है. यह दंपति बीते डेढ़ साल से गुहार लगा रहा है कि उन्हें उनकी बेटी लौटा दी जाए, लेकिन पीड़ित परिवार को कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है. कोर्ट के आदेश के बावजूद जर्मनी की चाइल्ड केयर संस्था को बच्चे की कस्टडी देनी थी, लेकिन चाइल्ड केयर संस्था की मनमानी के चलते ऐसा नहीं हुआ.
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