Defence News: चीन-ताइवान विवाद के बीच भारत को मिलेगी ये स्पेशल पावर, सेना कभी भी फास्ट ट्रैक रूट से खरीद सकेगी हथियार
Defence News: भारत सुरक्षाबलों को आपातकालीन अधिग्रहण शक्तियों के तहत अहम हथियार प्रणालियों (Critical Weapons Systems) को खरीदने की मंजूरी दे सकता है. इस पर रक्षा मंत्रालय की बैठक में चर्चा होगी.
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Defence Forces To Buy Critical Weapons: जल्द ही भारत के सुरक्षाबल (Defence Forces) अपनी ऑपरेशनल तैयारियों को और अधिक मजबूत करने के लिए खुद ही कोई भी सिस्टम, उपकरण या हथियार खरीद पाएंगे. इसकी कवायद शुरू हो चुकी है. इसके लिए भारत सुरक्षाबलों को आपातकालीन अधिग्रहण शक्तियों के तहत महत्वपूर्ण हथियार प्रणालियों (Critical Weapons Systems) को खरीदने की मंजूरी दे सकता है. इस मंजूरी के मिलते ही सुरक्षाबल महत्वपूर्ण हथियारों और सिस्टम को फास्ट-ट्रैक रूट (Fast-Track Route) के जरिए सीधे और शीघ्रता से खरीद पाएंगे.
उरी सर्जिकल स्ट्राइक में पहली बार मिली ये पावर
पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के दौरान 2016 में उरी सर्जिकल स्ट्राइक (Uri Surgical Strikes) के बाद पहली बार रक्षा बलों को ये शक्तियां दी गई थी. सैन्यबलों के लिए यह शक्तियां मई 2020 से चीन (China) के साथ चल रहे सैन्य गतिरोध से निपटने में मददगार साबित हुई थीं. सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि अगले हफ्ते होने वाली उच्च स्तरीय रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) की बैठक में रक्षा बलों को आपातकालीन अधिग्रहण अधिकार देने के मसले पर चर्चा होने की उम्मीद है. गौरतलब है कि आपातकालीन शक्तियां (Emergency Powers) बलों को संघर्ष की स्थितियों के लिए तैयारियों में सुधार करने के लिए फास्ट-ट्रैक के जरिए कोई भी नया या इस्तेमाल में लाए जाने वाले उपकरण को प्राप्त करने की मंजूरी देती हैं.
मिली थी करोड़ों रुपये के सौदे को मंजूरी
सूत्रों ने मुताबिक कि पिछली बार मिली मंजूरी में रक्षाबलों के पास 300 करोड़ रुपये के उपकरणों के सौदों पर हस्ताक्षर करने की शक्ति थी. ये उपकरण तीन महीने से एक साल के अंदर डिलीवर होने थे. सूत्रों के मुताबिक आपातकालीन शक्तियों के तहत सशस्त्र बलों (Armed Forces) को अपने बजटीय आवंटन से नए सौदों पर बस पैसा खर्च करना पड़ता है और उन्हें इन सौदों के लिए रक्षा मंत्रालय की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होती है. रक्षाबलों ने इन अधिग्रहणों के जरिए अपनी तैयारियों को मजबूत किया है क्योंकि भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) और सेना को हेरॉन (Heron) मानव रहित हवाई वाहन मिले हैं. इन्हें अब लद्दाख (Ladakh) के साथ-साथ पूर्वोत्तर में चीनी गतिविधियों ( Chinese Activities) पर नजर रखने के लिए निगरानी के लिए तैनात किया गया है. सुरक्षाबलों को मिसाइलें (Missiles) भी मिली हैं जो लंबी दूरी से जमीनी लक्ष्यों पर मार कर सकती हैं. हैमर (Hammer) मिसाइलों के शामिल होने से राफेल लड़ाकू विमानों (Rafale Fighter Jets) को भी बढ़ावा मिला है. हैमर मिसाइल बंकरों जैसे कठोर जमीनी लक्ष्यों को लंबी दूरी से आसानी से धराशायी कर सकती हैं.
चीन- ताइवान को लेकर भारत भी सचेत
सेना और भारतीय वायुसेना (IAF) ने भी इन शक्तियों का इस्तेमाल अपने छोटे हथियारों को मजबूत करने के लिए किया है. अब सिग सॉयर असॉल्ट राइफल्स (Sig Sauer Assault Rifles) को अब तीनों बलों में शामिल कर लिया गया है.भारतीय सशस्त्र बलों ने सरकार के विभिन्न चरणों में उन्हें दी गई आपातकालीन खरीद शक्तियों (Emergency Procurement Powers) का व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया है. इसके तहत सशस्त्र बलों ने दोनों तरफ के दुश्मनों के पैदा किए किसी भी संघर्ष या आक्रमण से निपटने के लिए खुद को आवश्यक हथियारों से लैस किया.
सशस्त्र बलों के पास खरीदने के लिए उपकरणों की एक लंबी सूची है और वे स्वदेशी के साथ-साथ विदेश में बने उत्पादों को खरीदने के लिए इन शक्तियों का इस्तेमाल करेंगे.सरकार के रक्षा बलों को फिर ऐसे वक्त में ये शक्तियां दी जा रही हैं जब चीन ताइवान (Taiwan) के मोर्चे पर आक्रामक युद्धाभ्यास कर रहा है और कई मिसाइल फायर कर इस क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहा है.और दूसरी ओर, पाकिस्तानी एजेंसियां भी गुजरात तट (Gujarat Coast) के पास भारत के साथ लगती समुद्री सीमा पर ऑपरेशन चलाने की कोशिश कर रही हैं.
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