Diplomat Sanjeev Verma Refutes Canadian PM Trudeau:  कनाडा में जिस भारतीय उच्चायुक्त को ट्रूडो सरकार की ओर से निशाना बनाया गया था उन्हें दिल्ली वापस बुला लिया गया है. उन्होंने कहा कि कनाडा के अधिकारियों ने उनके साथ हरदीप सिंह नजर की हत्या को लेकर कोई भी सबूत नहीं साझा किया. वहीं भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और पांच अन्य राजनीतिकों को पर्सन ऑफ इंटरेस्ट के रूप में ट्रूडो सरकार ने लेबल किया था. 


भारत लौटने के बाद एनडीटीवी को दिए अपने इंटरव्यू में संजय कुमार वर्मा ने बताया कि वास्तव में भारत ही था जिसने जस्टिन ट्रूडो सरकार के साथ कनाडा की धरती पर सक्रिय कट्टरपंथी और चरमपंथी समूह के विस्तृत सबूत साझा किए थे, लेकिन कनाडा सरकार या उनके अधिकारियों की ओर से इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई. वह बोले कि कनाडा के साथ साझा किए गए सबूतों के अलावा नई दिल्ली ने 26 कट्टरपंथी तत्वों और गैंगस्टरों के लिए बार-बार प्रत्यर्पण अनुरोध भी भेजे, लेकिन इस बारे में भी कुछ नहीं किया गया. 


हत्या की जांच में राजनयिकों को किया गया लेबल
 
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि कनाडाई अधिकारियों के साथ हुई उनकी आखिरी बैठक में वह हैरान हो गए थे. क्योंकि उन्हें और उनके पांच सहयोगियों को हत्या की जांच में पर्सन ऑफ इंटरेस्ट के रूप में लेबल किया गया था और उन्हें यह भी कहा गया था कि उन्हें भारत सरकार से अपनी डिप्लोमेटिक इम्यूनिटी को हटाने के लिए कहना चाहिए. 


फिर भारत ने बुलाया वापस


वर्मा ने 12 अक्टूबर, 2024 को हुई कनाडाई विदेश मंत्रालय के साथ एक बैठक में उन्हें बताया गया कि उन्हें और उनके पांच सहयोगियों को हत्या की जांच से जोड़ा जा रहा है और उनसे पूछताछ करने के लिए उनकी राजनयिक छूट को खत्म करना होगा. इसके बाद उन्होंने इस बारे में नई दिल्ली को बताया इसके बाद उन्हें वापस भारत बुलाने का फैसला किया. वह बोले कि जैसे ही भारत सरकार ने उन्हें बुलाने का फैसला किया तो कनाडा सरकार ने उन्हें अवांछित व्यक्ति (person non grata) के रूप में लेबल करने और एक लिमिटेड टाइम के अंदर वापस भेजने का फैसला किया.


इतिहास में हो रहा पहली बार


वर्मा ने कहा कि भारत के कूटनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी विदेश मंत्रालय के अधिकारी या प्रतिनिधि को अवांछित व्यक्ति करार दिया गया है. इसका मतलब होता है कि उस व्यक्ति का इस देश में स्वागत नहीं किया जाता है. कूटनीति में यदि संबंधित व्यक्ति को उसके आग्रह के अनुसार उसके ग्रह देश की ओर से वापस नहीं बुलाया जाता तो मेजबान देश संबंधी व्यक्ति को राजनीतिक मिशन के सदस्य के रूप में मान्यता देने से इनकार कर देता है इसका मतलब है कि उसकी इम्यूनिटी खत्म हो जाती है. 


कई भारत विरोधी झूठे बयान देने को तैयार हैं कनाडा में 


इतना ही नहीं वर्मा ने यह भी कहा कि जस्टिन ट्रूडो के दावे अदालत में टिक नहीं पाएंगे. उन्होंने देश के साथ एक भी सबूत साझा नहीं किया. यदि जस्टिन ट्रूटों खुफिया इनपुट या स्रोत पर आधारित दावों को सबूत कह रहे हैं तो यह कानून की अदालत में टिक नहीं पाएगा. यह  दावों के सबूत ना तो उनके देश में और ना ही भारत देश में टिक पाएंगे. ट्रूडो जिसे सबूत कह रहे हैं वह असल में अफवाह हैं और स्रोत आधारित दावे हैं, जो अदालत में टिक नहीं पाएंगे. वह बोले, "कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कनाडा में कई भारत विरोधी है जो भारत और भारतीयों के खिलाफ झूठे बयान देने के लिए तैयार हैं जिन्हें सिंगल सोर्स इनफॉरमेशन की तरह देखा जा सकता है.” 


‘संदिग्ध व्यक्ति है जस्टिन ट्रूडो’


वर्मा ने कहा कि एक बात तो खुले तौर पर देखी और जानी जाती है कि जस्टिन ट्रूडो बहुत ही संदिग्ध व्यक्ति है. खालिस्तानी चरमपंथियों और आतंकवादियों के साथ उनके बहुत करीबी संबंध है खासतौर से पॉलिटिकल रूप से. वह बोले कि वह कनाडा की राजनीति पर कुछ टिप्पणी नहीं करना चाहते लेकिन जो उन्होंने देखा और सुना और जो भी मीडिया में पड़ा है उसे यह पता चलता है कि उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रही है. जनमत सर्वे भी उनके पक्ष में नहीं है और उससे भी बड़ी बात यह है कि पार्टी के अंदर ट्रूडो के नेतृत्व को खतरा है. 


भारतीय राजनयिकों को खुलेआम धमकी 


कनाडा में खालिस्तानी अलगाववाद के काम करने के तरीके को समझाते हुए वर्मा ने कहा कि यह एक तरह का बिजनेस है क्योंकि उग्रवादी और कट्टरपंथी जबरन वसूली और कई अवैध तरीकों से पैसा इकट्ठा करते हैं और उसका इस्तेमाल भारत को अस्थिर करने और अपने पर्सनल लाइफ स्टाइल मेंटेन करने का प्रयास करते हैं. यदि कोई उनके खिलाफ सबूत देने की कोशिश करता है या फिर उनके काम को बंद करने की कोशिश करता है तो वह उनके निशाने पर आ जाता है. कनाडा में यह देखने को भी मिला है कि भारतीय राजनयिकों को खुलेआम धमकी दी जा रही थी. 


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