Karnataka Hijab Row: भारत में हिजाब विवाद के बीच पाकिस्तानी एजेंट के ट्वीट को रीट्वीट करके शशि थरूर निशाने पर आ गए हैं. कुवैत में भारतीय दूतावास ने शशि थरूर को फटकार लगाई है. कुवैत में मौजूद भारतीय दूतावास की तरफ से साफ शब्दों में कहा गया है कि भारत विरोधी तत्वों को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए.


पाकिस्तानी एजेंट ने एक ट्वीट में लिखा था कि शक्तिशाली कुवैती सांसदों के एक समूह ने सरकार से मांग की है कि कुवैत में भारत की सत्तारूढ़ भाजपा के किसी भी सदस्य के कुवैत में प्रवेश पर तत्काल प्रतिबंध लगा देना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम मुस्लिम लड़कियों को सार्वजनिक रूप से प्रताड़ित होते हुए नहीं देख सकते. उम्मा के एकजुट होने का समय है.


इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए शशि थरूर ने लिखा था कि घरेलू कार्रवाईयों के अंतरराष्ट्रीय प्रभाव होते हैं. मैं भारत में बढ़ते इस्लामोफोबिया और इसकी निंदा करने के लिए प्रधानमंत्री की अनिच्छा के बारे में खाड़ी के दोस्तों से उनकी निराशा के बारे में सुनता हूं, इसके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की तो बात ही छोड़िए. हमें भारत पसंद है, लेकिन हालात कठिन मत बनाओ कि हम आपको दोस्त न बना सकें.


इस ट्वीट को लेकर कुवैत में भारतीय दूतावास की तरफ से लिखा गया कि भारतीय संसद के एक माननीय सदस्य को एक पाकिस्तानी एजेंट के भारत-विरोधी ट्वीट को रीट्वीट करते हुए देखकर दुख होता है, जिसे उसकी भारत विरोधी गतिविधियों के लिए 'एंबेस्डर ऑफ पीस' का पुरस्कार मिला था. हमें ऐसे भारत विरोधी तत्वों को प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए.






 


वहीं शशि थरूर ने भारतीय दूतावास के ट्वीट के जवाब में लिखा मैं इस व्यक्ति का समर्थन नहीं करता, जिसके बारे में मैंने कभी नहीं सुना था. मैं उसके द्वारा व्यक्त की गई भावना के बारे में चिंतित हूं, दुख की बात है कि कई ऐसों ने इसे शेयर किया है जो भारत के मित्र हैं. मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि ऐसे भारत विरोधी तत्वों को बारूद न दें.


इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कर्नाटक में जारी ड्रेस कोड विवाद को लेकर कुछ देशों की आलोचना पर बृहस्पतिवार को अपना रुख दोहराया और स्पष्ट किया कि आंतरिक मामलों में बाहरियों की टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं होंगी. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में हिजाब विवाद से जुड़े एक सवाल पर कहा, ‘‘यह विदेश मंत्रालय का विषय नहीं है. हमारी कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं है. आपने हमारे बयानों को देखा होगा कि यह भारत का आंतरिक मामला है, इस पर किसी बाहरी व्यक्ति या किसी अन्य देश की कोई भी टिप्पणी स्वागत योग्य नहीं है.’


बागची ने इस बात पर जोर दिया कि भारत में एक संवैधानिक तंत्र, न्यायिक प्रणाली और लोकतांत्रिक लोकाचार है, जो ऐसे मुद्दों का हल तलाशने के लिए रूपरेखा प्रदान करता है. उन्होंने कहा, ‘‘यह मुद्दा विचाराधीन है. कर्नाटक उच्च न्यायालय इस पर विचार कर रहा है.’’ बागची ने स्पष्ट किया कि आंतरिक मुद्दों और भारत के संविधान तथा इसके नागरिकों से जुड़े मामलों में बाहरियों की टिप्पणियां स्वीकार्य नहीं होंगी.


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