नोएडा: भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश सिंह टिकैत ने कहा है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से सरकार बातचीत करें और विवादित कानून को वापस लें.
उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को कानूनी मान्यता दे और यह सुनिश्चित करे कि जिस फसल की जो न्यूनतम दर सरकार ने तय की है उससे कम रेट पर कोई भी व्यापारी या मिल मालिक अनाज नहीं खरीदेगा. अगर उससे कम रेट पर किसानों से खरीदारी की जाती है तो क्रेता के खिलाफ मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. टिकैत ने शुक्रवार को फोन पर यह बताया.
भारतीय किसान यूनियन किसानों का पूरी तरह कर रहा समर्थन
उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शन करने जा रहे हैं हरियाणा, पंजाब के किसानों का भारतीय किसान यूनियन पूरी तरह से समर्थन कर रहा है. साथ ही भाकियू आज उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर सड़क जाम कर प्रदर्शनरत किसानों का समर्थन करेगी. उन्होंने किसानों पर लाठीचार्ज व जाड़े के मौसम में पानी की बौछार करने की भी कड़े शब्दों में निंदा की.
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडियों के खत्म होने का डर है किसानों को
दरअसल, किसानों को डर है कि नए किसान कानून की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और मंडियों के खत्म हो सकती हैं. किसान अब तक फसल को अपने आस-पास की मंडियों में सरकार की ओर से तय की गई एमएसपी पर बेचते थे. नए किसान कानून में कृषि उपज मंडी समिति से बाहर कृषि के कारोबार को मंजूरी दी है. इसके कारण किसानों को डर है की उन्हें अब उनकी फसलों के सही दाम नहीं मिल पाएंगे. अभी तक मंडी में किसान से अनाज की खरीद पर व्यापारी को 6 से 7 प्रतिशत का टैक्स देना होता था.
वहीं मंडी के बाहर अनाज की खरीद पर किसी भी तरह का कोई टैक्स नहीं देना होगा. किसानों को लगता है कि इससे आने वाले समय में मंडियां पूरी तरह से खत्म हो जाएंगी और किसान सीधे तौर पर व्यापारियों के हवाले होगा.
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