Fifa World Cup 2022: भारत स्थित एक कंप्यूटर हैकिंग गिरोह ने कतर फीफा वर्ल्ड कप के आलोचकों को निशाना बनाया है. यह जानकारी ब्रिटिश पत्रकारों की एक जांच में सामने आई है. समाचार पत्र और ब्यूरो ने एक बयान में कहा, ब्रिटेन के संडे टाइम्स और ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म में लीक हुए एक डेटाबेस ने 2019 से एक दर्जन वकीलों, पत्रकारों और मशहूर लोगों की हैकिंग का खुलासा किया है. इसके लिए "एक क्लाइंट ने कमीशन भी दिया."


रिपोर्ट में आगे कहा गया, "यह जांच दृढ़ता से इस क्लाइंट के विश्व कप: कतर के मेजबान होने की ओर इशारा करती है." बयान में कहा गया कि कतरी अधिकारियों के आरोप को "स्पष्ट रूप से गलत और बिना योग्यता" के रूप में वर्णित करने के लिए प्रेरित भी किया गया. जिन लोगों को निशाना बनाया गया उनमें यूरोपीय फुटबॉल के पूर्व प्रमुख मिशेल प्लाटिनी भी शामिल थे.


विश्व कप से संबंधित भ्रष्टाचार के दावों के बारे में फ्रांसीसी पुलिस के साथ बातचीत से पहले हैक किए गए प्लाटिनी ने एएफपी को बताया कि वह रिपोर्ट से "हैरान और स्तब्ध" थे. वह अपनी निजता का गंभीर "उल्लंघन" प्रतीत होने वाले सभी संभावित कानूनी रास्ते तलाशेंगे.


इन लोगों को भी बनाया गया निशाना


संडे टाइम्स ने संयुक्त जांच के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि लंदन स्थित सलाहकार घनम नुसीबेह, जिनकी कंपनी कॉर्नरस्टोन ने विश्व कप से संबंधित भ्रष्टाचार पर एक रिपोर्ट तैयार की थी, उनको भी निशाना बनाया गया था. अन्य में एक फ्रांसीसी सीनेटर और कतर के मुखर आलोचक नथाली गौलेट, कथित तौर पर "इस्लामी आतंकवाद" के वित्तपोषण के लिए और जर्मनी के एक वकील मार्क सोमोस शामिल थे, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में कतरी शाही परिवार के बारे में शिकायत की थी.


गुरुग्राम से हुई हैकिंग


अखबार ने आरोप लगाया कि हैकिंग का 'मास्टरमाइंड' एक 31 वर्षीय अकाउंटेंसी फर्म का कर्मचारी था. हालांकि, आरोपी ने इन दावों से इनकार किया है. दिल्ली के पास गुरुग्राम में स्थित, कंप्यूटर हैकरों के उनके नेटवर्क ने कथित तौर पर अपने ईमेल इनबॉक्स तक पहुंच प्राप्त करने के लिए "फ़िशिंग" तकनीकों का उपयोग करके अपने टारगेट को फंसाया, कभी-कभी अपने कंप्यूटर कैमरों और माइक्रोफोन को नियंत्रित करने के लिए दुर्भावनापूर्ण सॉफ़्टवेयर भी लगाए गए.


'100 से अधिक लोगों को किया टारगेट'


रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल मिलाकर 100 से अधिक पीड़ितों के अपने निजी ईमेल अकाउंट को "निरंकुश राज्यों, ब्रिटिश वकीलों और उनके धनी ग्राहकों के लिए काम करने वाले जांचकर्ताओं की ओर से" गिरोह ने टारगेट किया था. इनमें ब्रिटेन के पूर्व वित्त मंत्री फिलिप हैमंड जैसे रूस से संबंधित मुद्दों से निपटने वाले राजनेता शामिल थे. संडे टाइम्स ने कहा कि गिरोह ने पाकिस्तानी राजनेताओं और जनरलों के स्वामित्व वाले कंप्यूटरों को भी जब्त कर लिया और उनकी बातचीत की निगरानी की, "जाहिरा तौर पर भारतीय गुप्त सेवाओं के इशारे पर."


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