'अभी चुनाव हुए तो हार जाएंगे ट्रूडो...', कनाडा से वापस आए राजनयिक ने खोली कनाडाई PM की पोल
संजीव वर्मा ने कहा कि असल में भारत ने कनाडाई सरकार को देश में चल रहे कट्टरपंथी और चरमपंथी समूहों के खिलाफ विस्तृत सबूत साझा किए थे, लेकिन इस पर "कोई कार्रवाई नहीं की गई".
Diplomat Sanjeev Verma Refutes Canadian PM Trudeau: भारत-कनाडा के बीच हाल ही में फिर से उभरे तनाव के बीच भारत ने अपने राजदूत को वापस दिल्ली बुला लिया था. कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त संजीव वर्मा ने भारत लौटते ही कहा कि कनाडा सरकार के आरोप बेबुनियाद हैं और वह झूठे आरोपों को गढ़ रही है.
भारतीय उच्चायुक्त ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि उन्हें कनाडाई अधिकारियों की ओर से किसी भी तरह के सबूत नहीं दिए गए हैं. संजीव वर्मा ने कहा कि उन्हें और उनके पांच सहयोगियों को हत्या की जांच में 'पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट' करार दिया गया था, लेकिन इस बाबत कनाडाई अधिकारियों की ओर से "कोई सबूत नहीं दिया गया". राजनयिक संजय वर्मा ने कनाडा के अधिकारियों के सामने अपनी उपस्थिति को याद करते हुए कहा, "कोई भावना प्रकट नहीं की, चेहरे पर चिंता की एक लकीर भी नहीं थी."
भारत ने कनाडा को दिए सबूत
संजीव वर्मा ने कहा कि असल में भारत ने कनाडाई सरकार को देश में चल रहे कट्टरपंथी और चरमपंथी समूहों के खिलाफ विस्तृत सबूत साझा किए थे, लेकिन इस पर "कोई कार्रवाई नहीं की गई". उन्होंने कहा, "नई दिल्ली ने 26 कट्टरपंथियों और गिरोह के सदस्यों के प्रत्यर्पण के लिए भी बार-बार अनुरोध किए, लेकिन इस पर कुछ नहीं किया गया."
कनाडा के लिए 'दोहरा मापदंड'
उच्चायुक्त वर्मा ने कहा कि यह कनाडा की "दोहरी मानक" नीति है. उन्होंने कहा, "एक कानून आपके लिए और एक कानून मेरे लिए, यह अब दुनिया में नहीं चलता." उन्होंने यह भी जिक्र किया कि पहले ग्लोबल साउथ के देशों को विकसित देशों की ओर से निर्देशित किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है.
उच्चायुक्त ने कहा कि कनाडाई अधिकारियों के साथ अपनी अंतिम बैठक में उन्हें यह जानकारी मिली कि वे अब हत्या की जांच में शामिल हैं. उन्होंने कहा, "मैंने कनाडाई विदेश मंत्रालय के साथ अपनी सभी बैठकों में सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे थे, लेकिन 12 अक्टूबर को अचानक मुझे सूचित किया गया कि हमें हत्या की जांच से जोड़ा गया है."
पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट बनाया गया
उच्चायुक्त संजीव वर्मा ने बताया कि जब भारतीय सरकार ने उन्हें वापस बुलाने का फैसला लिया, तो कनाडाई सरकार ने उन्हें 'पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट' बना दिया. उन्होंने कहा, "यह भारतीय कूटनीतिक इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी विदेशी मंत्रालय के अधिकारी को पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट के रूप में चिह्नित किया गया है."
दरअसल पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट उस शख्स को कहते हैं जिसपर भले ही सीधे तौर पर आरोप नहीं लगाया जाता लेकिन ये कहा जाता है कि वह शख्स किसी न किसी तरह से अमूक मामले से जुड़ा है.
'मुट्ठी भर खालिस्तानी ने मचा रखा है आतंक'
कनाडा के व्यवहार पर राजनयिक संजय वर्मा ने कहा, द्विपक्षीय संबंधों पर अत्यंत गैर-पेशेवर रवैया रहा, यह अत्यंत दुखद है. कनाडा की लचर कानून प्रणाली के कारण खालिस्तानी आतंकवादियों, उग्रवादियों को वहां शरण मिली, कनाडा में केवल मुट्ठी भर, करीब 10 हजार सिख लोग ही कट्टर खालिस्तानी हैं, जिन्होंने खालिस्तान को कारोबार बना लिया है. कनाडा में चरमपंथी खालिस्तानी मानव तस्करी कर रहे हैं, अपने घृणित कारोबार के लिए गुरुद्वारों के माध्यम से पैसा इकट्ठा कर रहे हैं.
ट्रूडो की सत्ता में वापसी मुश्किल?
उन्होंने कहा, "कनाडा में खालिस्तानी समर्थकों की संख्या बहुत कम है, लेकिन वे तेज आवाज में चिल्लाते हैं और उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिलता है. खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना आतंकवाद को बढ़ावा देने के समान है. ट्रूडो की लोकप्रियता घट रही है; यदि अभी चुनाव हुए तो सत्ता में लौटना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा."
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