नौसेना ने बताया कि इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर तथा वजन 7,400 टन है . इसे भारत में निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में गिना जा सकता है. देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में पोत का लैडिंग करेंगे.
पहली बार 2021 में समुद्र में उतरा था
गोवा के पश्चिमी तट पर स्थित ऐतिहासिक बंदरगाह शहर मोरमुगाओ के नाम पर रखा गया है. संयोग से यह पोत पहली बार 19 दिसंबर, 2021 को समुद्र में उतरा था, जिस दिन पुर्तगाली शासन से गोवा की मुक्ति के 60 वर्ष पूरे हुए थे. विशाखापत्तनम के कैटेगरी फॉर के विध्वंसकों में से दूसरे विध्वंसक को नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया जायेगा. इसकी डिजाइन भारतीय नौसेना के स्वदेशी संगठन ने तैयार की है और निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है .
75 फीसदी हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है
पोत को शक्तिशाली चार गैस टर्बाइन से गति मिलती है. पोत 30 समुद्री मील से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है. नौसेना ने कहा कि पोत की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है और पोत में रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था है. पोत मोलिकुलर, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों के दौरान लड़ने में सक्षम है. नौसेना ने कहा, इस पोत की विशेषता यह है कि इसमें लगभग 75 फीसदी हिस्सा पूर्ण रूप से स्वदेशी है और इसे हमारे राष्ट्रीय लक्ष्य आत्मनिर्भर भारत के तहत निर्मित किया गया है.
आत्मनिर्भरता और स्वदेशीकरण के दृढ़ निश्चय के साथ 44 पोतों और पनडुब्बियों में से 42 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जा रहा है और इस तरह आत्मनिर्भर भारत के हमारे प्रयासों को आगे बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा, 55 पोतों और पनडुब्बियों के निर्माण के लिए आदेश जारी किये जा चुके हैं. इनका निर्माण भारतीय शिपयार्ड में किया जायेगा.