आंध्र-तेलंगाना में छात्रों के सुसाइड के क्यों बढ़ रहे केस? अब बोर्ड रिजल्ट में फेल होने के बाद 9 छात्रों की आत्महत्या
IIT Suicide Cases: आईआईटी छात्रों द्वारा खुदकुशी के मामलों की संख्या साल पर साल बढ़ रही है जिसको लेकर कई सवाल उठते आए हैं. अब... पढ़ें.
Indian Institutes of Technology Suicide Cases: IIT यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से शिक्षा हासिल करना हर उस छात्र का सपना होता है जो टेक्निकल एजुकेशन में इच्छा रखता है. हजारों की संख्या में हर साल छात्र इसके लिए परीक्षा देते हैं जिनमें से गिनचुने कुछ को आईआईटी में पढ़ने का मौका मिलता है. वहीं, ऐसे में आईआईटी छात्रों का आत्महत्या करना कई मायनों में सवाल पैदा करता है.
दरअसल, आईआईटी छात्रों द्वारा खुदकुशी के मामलों की संख्या साल पर साल बढ़ रही है. अधिक मामले आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बीते कुछ सालों में दर्ज हुए हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2014 से लेकर 2022 यानि 8 सालों के वक्त में आंध्र और तेलंगाना में 15 छात्रों ने आत्महत्या की है. इनमें 9 बीटेक के छात्र थे जबकि अन्य एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई कर रहे थे.
आईआईटी गुवाहाटी के छात्र ने...
आंध्र प्रदेश-तलंगाना के अलावा आईआईटी गुवाहटी, आईआईटी हैदराबाद, आईआईटी खड़गपुर समेत अन्य से आत्महत्या की घटनाएं सामने आयी हैं. हाल ही के दिनों में आईआईटी गुवाहाटी के छात्र ने खुदकुशी कर ली थी. इस छात्र को किसी कारणों के चलते टर्मिनेट कर दिया था जिसे वो सहन नहीं कर सका और अपनी जान ले ली.
क्या हैं इन आत्महत्याओं का कारण...
शिक्षा मामलों के विशेषज्ञ इन आत्महत्याओं की घटनाओं के पीछे तीन वजहों को बताते हैं...
पहला- आईआईटी में अंग्रीज में ही पढ़ाई होती है. तेलुगु छात्रों का अंग्रेजी मोड में ट्रांसफर होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है जिस कारण कई बार वो हताश होकर इस तरह का कदम उठा लेते हैं.
दूसरा- कोचिंग सेंटर का दबाव छात्रों को झेलना पड़ता है.
तीसरा- नॉर्थ-साउथ पक्षपात की भी घटनाएं सामने आती हैं जिस कारण छात्रों पर गहरा असर पड़ता है.
वहीं, इंटरमीडिएट फर्स्ट ईयर और सेकंड ईयर (कक्षा 11 और 12) की परीक्षा में फेल होने के बाद गुरुवार से अब तक 9 छात्रों ने आत्महत्या कर ली है. वहीं दो अन्य छात्रों ने आत्महत्या का प्रयास किया है.
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