नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था पर हो रहे विरोध के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले चार दिनों से रोजाना कोरोना महामारी से प्रभावित भारतीय अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए लगातार कदमों का एलान कर रही है. इसी कड़ी में आज उन्होंने कोयला और बिजली क्षेत्र जैसे बुनियादी ढांचे में कई सुधारों का एलान किया. सबसे अहम एलान इन क्षेत्रों को निजी सेक्टर की कम्पनियों के लिए खोलने का था. अब इस मुद्दे पर संघ परिवार के संगठनों ने ही कड़ी आपत्ति जताई है.


नया नुस्ख़ा खोजे सरकार : बीएमएस


संघ परिवार से जुड़े देश के सबसे बड़े मज़दूर संगठन भारतीय मज़दूर संघ ने वित्त मंत्री की आज की घोषणा की कड़ी आलोचना की है. मज़दूर संघ ने एक बयान जारी करके निजीकरण के फ़ैसले को अलोकतांत्रिक क़रार दिया है. संघ का कहना है कि आज की घोषणा से लगता है कि सरकार के पास इस संकट की घड़ी में आर्थिक हालात सुधारने का कोई नया आइडिया नहीं बचा है. बयान में कहा गया है कि निजीकरण का ऐलान पुराना और घिसा पीटा रास्ता रह गया है. संघ ने कहा कि इन घोषणाओं से पहले सरकार ने किसी से चर्चा नहीं की जो लोकतंत्र का सबसे बड़ा स्तम्भ है.


हम आंदोलन करेंगे : बीएमएस


एबीपी न्यूज़ से बात करते भारतीय मज़दूर संघ के महासचिव विरजेश उपाध्याय ने कहा कि उनका संगठन इन घोषणाओं के पूरी तरह खिलाफ है. उपाध्याय ने कहा, " हमारा संगठन इन फैसलों के खिलाफ तबतक आंदोलन करेगा जबतक सरकार इन अलोकतांत्रिक फैसले को वापस नहीं ले लेती."


दरअसल भारतीय मज़दूर संघ पहले से ही बीजेपी शासित कुछ राज्यों द्वारा श्रम क़ानूनों में बदलाव किए जाने का विरोध कर रही है और आंदोलन की चेतावनी दे चुकी है. ये पूछे जाने पर कि उनका संगठन बीजेपी सरकार की नीतियों का ही विरोध कर रहा है. विरजेश उपाध्याय ने कहा - " हम सरकार की नीतियों की समीक्षा करते हैं और अगर लगता है कि उनकी नीतियां मज़दूरों और ग़रीबों के प्रतिकूल हैं तो हम आवाज़ उठाते हैं ... सरकार चाहे किसी की हो. " जाहिर है मोदी सरकार के लिए ये अच्छी ख़बर नहीं है.


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