नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश करते हुए कहा कि यह बिल करोड़ों लोगों को सम्मान के साथ जीने का अवसर प्रदान करेगा. उनका कहना था कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए अल्पसंख्यकों को भी जीने का अधिकार है. उनका कहना था कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी में काफी कमी हुई है, वह लोग या तो मार दिए गए या शरणार्थी बनकर भारत में आए. गृह मंत्री ने कहा कि तीनों देशों से आए धर्म के आधार पर प्रताड़ित ऐसे लोगों को संरक्षित करना इस बिल का उद्देश्य है, भारत के अल्पसंख्यकों का इस बिल से कोई लेना-देना नहीं है. राज्यसभा में विधेयक का परिचय देते हुए शाह ने यह भी कहा कि इसका उद्देश्य उन लोगों को सम्मानजनक जीवन देना है जो दशकों से पीड़ित थे.
शाह का कहना था कि पासपोर्ट, वीजा के बगैर जो प्रवासी भारत में आए हैं उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है किंतु इस बिल के पास होने के बाद तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा. गृह मंत्री ने कहा कि इस बिल के जरिए उत्पीड़न के शिकार इन तीनों देशों के लोग रजिस्ट्रेशन कराकर भारत की नागरिकता ले पाएंगे. शाह का कहना था कि 1955 की धारा 5 या तीसरे शेडयूल की शर्तें पूरी करने के बाद जो शरणार्थी आए हैं उन्हें उसी तिथि से नागरिकता दी जाएगी जब से वह यहां आए और इस बिल के पास होने के बाद उनके ऊपर से घुसपैठ या अवैध नागरिकता के केस स्वतः ही समाप्त हो जाएंगे. शाह ने कहा कि अगर इन अल्पसंख्यकों के पासपोर्ट और वीजा समाप्त हो गए हैं, तो भी उन्हें अवैध नहीं माना जाएगा.
अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर राज्यों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. शाह ने कहा कि ये कानून असम, मेघालय, मिजोरम या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्र पर लागू नहीं होंगे क्योंकि संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं और पूर्वी बंगाल के तहत अधिसूचित 'इनर लाइन' के तहत आने वाले क्षेत्र को कवर किया गया है. एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए शाह ने कहा कि मणिपुर को इनर लाइन परमिट (ILP) शासन के तहत लाया जाएगा और इसके साथ ही सिक्किम सहित सभी उत्तर पूर्वी राज्यों की समस्याओं का ध्यान रखा जाएगा.
शाह ने असम का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि असम आंदोलन के शहीदों की शहादत बेकार नहीं जाएगी. उनका कहना था कि 1985 में राजीव गांधी के द्वारा क्लॉज़ सिक्स के तहत एक कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया था जो वहां के लोगों की भाषा, संस्कृति और सामाजिक पहचान की रक्षा करती किंतु यह आश्चर्यजनक बात है कि 1985 से लेकर 2014 तक वह कमेटी ही नहीं बन सकी.
गृह मंत्री ने कहा कि 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद उस कमेटी का गठन किया गया. उन्होंने असम के लोगों से आग्रह किया कि वह समझौते के प्रावधानों को पूरा करने के लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपे. उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लोगों की आशंकाओं को दूर करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि क्षेत्र के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को संरक्षित रखा जाएगा और इस विधेयक में संशोधन के रूप में इन राज्यों के लोगों की समस्याओं का समाधान है. पिछले एक महीने से नॉर्थ ईस्ट के विभिन्न हितधारकों के साथ मैराथन विचार-विमर्श के बाद शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक विचारधाराओं से परे एक मानवतावादी के रूप में देखा जाना चाहिए.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक में ऐसे शरणार्थियों को उचित आधार पर नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान हैं, जो किसी भी तरह से भारत के संविधान के तहत किसी भी प्रावधान के खिलाफ नहीं जाते हैं और अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करते हैं. शाह ने यह भी कहा कि देश के सभी अल्पसंख्यकों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार के होते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है, यह सरकार सभी को सुरक्षा और समान अधिकार देने के लिए प्रतिबद्ध है.
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