India-Pakistan War 1971: साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की पनडुब्बी गाजी पर डाइविंग-ऑपरेशन करने वाले आईएनएस निस्तार युद्धपोत को भारत एक बार फिर से नए अवतार में लाने जा रहा है. गुरुवार को विशाखापट्टनम स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड ने नौसेना प्रमुख की मौजदूगी में आईएनएस निस्तार और आईएनएस निपुण को समंदर में लॉन्च किया. भारतीय नौसेना के मुताबिक निस्तार और निपुण दोनों ही डाइविंग सपोर्ट वैसल (युद्धपोत) है, जिन्हें कि हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड बना रहा है.


डाइविंग सपोर्ट वैसल (डीएसवी) को पनडुब्बी के गहरे समंदर में डूबने के दौरान सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन में इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इस तरह के युद्धपोत को समंदर में भी खोजबीन और हेलीकॉप्टर ऑपरेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. निस्तार और निपुण पहले ऐसे डीएसवी वैसल है,  जिनका निर्माण आत्मनिर्भर भारत के तहत देश में हो रहा है. ये जहाज 118 मीटर लंबे और 23 मीटर चौड़ा जिनका वजन कि 9350 टन है. नौसेना के मुताबिक इन दोनों जहाज में 80 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे हैं.


'ऐतिहासिक पल'
नौसेना की परंपरा के अनुसार गुरुवार को नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार की पत्नी काला हरि कुमार ने दोनों जहाज को बंगाल की खाड़ी में लॉन्च किया. इस मौके पर नौसेना प्रमुख आर हरि कुमार ने इसे एक ऐतिहासिक पल बताया. उन्होंने कहा कि 1971 के युद्ध में निस्तार के पुराने अवतार यानी आईएनएस निस्तार ने पाकिस्तान की गाजी पनडुब्बी पर सफल डाइविंग ऑपरेशन कर नौसेना को बेहद अहम जानकारी दी थी.


साल 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की गाजी पनडुब्बी विशाखापट्टनम हार्बर के करीब बंगाल की खाड़ी में डूब गई थी. उसी साल भारत ने रूस से एक डाइविंग सपोर्ट वैसेल (DSV) लिया था, जिसका कि नाम निस्तार रखा गया था. साल 1989 में ये जहाज नौसेना से रिटायर हो गया था. उसी के नाम पर नए निस्तार डीएसवी का निर्माण किया जा रहा है.


निस्तार और निपुण के लॉन्च करने के मौके पर एडमिरल हरि कुमार ने कहा कि भारतीय नौसेना सिर्फ देश की समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा ही नहीं करती बल्कि रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प के चलते राष्ट्र-निर्माण में भी अहम योगदान देती है. उन्होंने बताया कि इस वक्त नौसेना के 45 जहाज और पनडुब्बियां निर्माण के अलग-अलग चरण में है. इनमें से 43 स्वदेशी शिपयार्ड में तैयार हो रहे हैं.


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