देश में ऑक्सीजन की किल्लत से निपटने के लिए भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र-सेतु लॉन्च कर दिया है. जिसके लिए अब विदेशों से उच्च क्षमता वाले भरे हुए क्रायोजैनिक टैंकर्स भी भारत लाए जा सकेंगे. इसके लिए नौसेना के जहाज बहरीन से लेकर सिंगापुर और बैंकॉक पहुंच गए हैं.
नौसेना के मुताबिक, आईएनएस कोलकता और तलवार युद्धपोत बहरीन के मनामा पोर्ट पहुंच गए हैं. वहां से ये दोनों युद्धपोत करीब 40 मैट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन लेकर मुंबई आएंगे. इसके अलावा आईएनस जलाश्व बैंकॉक के लिए रवाना हो गया है और आईएनएस ऐरावत सिंगापुर जा रहा है. ये दोनों युद्धपोत भी लिक्विड ऑक्सीजन लेकर वहां से जल्द भारत लौटेंगे.
लीक होने का खतरा रहता है
आपको बता दें कि वायुसेना के विमान विदेश से लिक्विड ऑक्सीजन लाने में असमर्थ थे. क्योंकि लिक्विड ऑक्सीजन के आसमान में प्रेशर के बदलाव के चलते लीक होने का खतरा रहता है. यही वजह है कि वायुसेना के एयरक्राफ्ट्स दुबई, बैंकॉक और सिंगापुर से खाली क्रायोजैनिक ऑक्सीजन टैंकर्स लेकर भारत आ रहे थे.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अबतक वायुसेना विदेशों से 39 ऑक्सीजन टैंकर लेकर भारत आई है. इन टैंकर्स की कुल क्षमता करीब 670 मैट्रिक टन (एमटी) है. इसके अलावा देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक में भी खाली टैंकर्स लाने ले जाने का काम वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट कर रहे हैं. पिछले कुछ दिनों में वायुसेना के अलग-अलग विमानों ने 124 उड़ानें भरी हैं जिनमें 1798 एमटी ऑक्सीजन भरी जा सकती है.
इस बीच खबर है कि कोरोना से लड़ने के लिए सरकार ने सेना के सभी टॉप कमांडर्स को इमरजेंसी फाइनेंसियल पावर दी हैं, ताकि देश कि किसी भी हिस्से में वे किसी भी तरह की क्वारंटीन फैसेलिटी, हॉस्पिटल या फिर दवाई और मेडिकल उपकरण खरीद सकें.
इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर दवाईयां और स्वास्थ्य-उपकरण खरीद सकते हैं
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बावत सेना के तीनों अंगों यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना के वाइस चीफ (सह-सेना प्रमुख), चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चैयरमैन (सीआईएससी), सभी कमानों के कमांडर इन चीफ को पूरी तरह छूट दी गई हैं कि कोविड से लड़ने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर दवाईयां और स्वास्थ्य-उपकरण खरीद सकते हैं. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इसके अलावा कोर कमांडर्स को 50 लाख तक की पॉवर्स दी गई हैं तो डिवीजनल कमांडर्स (मेजर-जनरल रैंक स्तर के अधिकारी) की वित्तीय-शक्तियां 20 लाख कर दी गई हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, ये फाईनेंसियल-पॉवर्स अगले तीन महीने तक के लिए की गई हैं. पिछले साल कोरोना महामारी के दौरान भी इसी तरह की वित्तीय शक्तियां सैन्य कमांडर्स को दी गई थीं, जिसके चलते कोरोना को रोकने में एक बड़ी लगाम लगी थी. आपको बता दें कि हाल ही में रक्षा मंत्री ने आर्म्ड फोर्सेज़ मेडिकल सर्विस (एएफएमएस) के सैन्य-डॉक्टर्स की भी फाईनेंसियल-पावर्स बढ़ाई थीं.
इस बीच ऑक्सीजन की किल्लत को खत्म करने के लिए सेना की पैरा-ब्रिगेड ने उत्तर प्रदेश के आगरा में बंद पड़े एक ऑक्सीजन प्लांट को फिर से शुरू कर दिया है. दरअसल, इस प्लांट में काफी लीकेज और क्रैक्स पड़ गए थे, जिसके चलते लंबे समय से ये संयंत्र को बंद कर दिया गया था. आगरा में ऑक्सीजन की कमी को देखते हुए जिला.
महाराष्ट्र के अहमदनगर छावनी परिषद अस्पताल में भी कोविड बेड बनाए गए
प्रशासन ने सेना से मदद मांगी थी. सेना की आगरा स्थित पैरा-ब्रिगेड ने गुजरात से जरूर सामान एयरलिफ्ट कर और प्लांट के लीकेज बंद और रिपयेर कर एक बार फिर से इसे चालू कर दिया है.
कोरोना के खिलाफ जंग में देश के सभी कैंटोनमेंट बोर्ड (छावनी परिषद) के अस्पतालों को कोरोना से पीड़ित सिविलियन मरीजों के लिए खोल दिया गया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 39 ऐसे कैंटोनमेंट बोर्ड हैं जहां 40 सामान्य अस्पताल काम कर रहे हैं. इन हॉस्पिटल्स में 1240 बेड्स हैं. महाराष्ट्र के पुणे, किरकी और देवलाली में कुल 304 बेड्स कोविड मरीजों के लिए रखे गए हैं. महाराष्ट्र के अहमदनगर छावनी परिषद अस्पताल में भी कोविड बेड बनाए गए हैं. इसके अलावा झांसी और देहरू-रोड कैंट हॉस्पिट्ल में भी कोविड सेंटर बनाए गए हैं.