भारत ने समंदर में पाकिस्तान को मुश्किल बढ़ाने का इंतजाम कर लिया है. बुधवार (2 मई) को सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो (SMART) का परीक्षण किया गया. यह स्मार्ट मिसाइल प्रणाली 500 किमी दूर से ही दुश्मन की पनडुब्बियों को चकनाचूर कर सकती है. इसमें एयर इंडीपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) है, जो पानी के अंदर सबमरीन की लाइफ बढ़ाने में मदद करता है. उससे पहले 26 अप्रैल को चीन ने युआन श्रेणी के टाइप 039A पनडुब्बी लॉन्च की. चीन ने पाकिस्तान के लिए यह पनडुब्बी बनाई है और पाकिस्तान में इसे हंगोर क्लास के नाम से जाना जाता है. हंगोर पनडुब्बियों में भी एआईपी लगा है, लेकिन भारत की कलवरी क्लास पनडुब्बियों में यह सिस्टम मौजूद नहीं है.


हंगोर क्लास पनडुब्बी को जैसे ही लॉन्च किया गया तो इसकी भारत की कलवरी क्लास सबमरीन से तुलना शुरू हो गई. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि पाकिस्तान की हंगोर क्लास सबमरीन में एयर इंडीपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) है, जो पानी के अंदर इसकी लाइफ बढ़ाने में मदद करता है. इसकी वजह से पनडुब्बी को चार्ज करने के लिए जीन पर आने की जरूरत नहीं होगी. किसी सबमरीन की यूएसपी होती है कि वह कितने लंब समय तक दुश्मन की नजरों से छिपकर रह सकती है. अगर कोई पनडुब्बी लंबे समय तक पानी के अंदर रह पाने में सक्षम है तो यह उसकी बहुत बड़ी खासियत होती है. कलवरी क्लास पनडुब्बी में भले AIP मौजूद न हो, लेकिन स्मार्ट प्रणाली एआईपी से लैस है.


SMART से कैसे पाकिस्तानी पनडुब्बियों चकनाचूर करेगा भारत?
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) ने ओडिशा कोस्ट के टेस्ट फैसिलिटी से SMART मिसाइल सिस्टम का परीक्षण किया. डीआरडीओ का कहना है कि स्मार्ट नेक्स्ट जेनरेश मिसाइल है, जो हल्के टॉरपीडो को ले जा सकती है. इसमें स्वदेशी टॉरपीडो एडवांस्ट लाइट (TAL) का इस्तेमाल किया जाता है. इस टॉरपीडो का इस्तेमाल पेलोड की तरह होता है.


स्मार्ट सिस्टम को भारतीय नौसेना की एंटी-सबमरीन वॉरफेयर क्षमता को कम वजन वाले हल्के टॉरपीडो की पारंपरिक सीमा से कहीं अधिक बढ़ाने के लिए DRDO ने डिजाइन और विकसित किया है. सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज ऑफ टॉरपीडो पैराशूट-आधारित रिलीज सुविधा के साथ पेलोड के रूप में उन्नत हल्के भार वाले टॉरपीडो को ले जाती है. स्मार्ट सिस्टम ऐसे वक्त में काम आएगा, जब नौसेना को उपग्रह या निगरानी प्रणाली से दुशमन की पनडुब्बी का पता चलता है और अगर उस समय वहां एंटी-वॉरफेयर में कामयाब जहाज मौजूद नहीं होगा तो इससे हमला किया जा सकेगा.


पाकिस्तान को 8 हंगोर क्लास पनडुब्बी देगा चीन
चीन साल 2028 तक पाकिस्तान को इस तरह की 8 सबमरीन एक्सपोर्ट करेगा, जिनमें से पहली पनडुब्बी 26 अप्रैल को चीन के शुआंगलिउ में वुचांग शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री ग्रुप (DWSIG) में लॉन्च किया गया. आठ में से चार सबमरीन का निर्माण DWSIG फैसिलिटी में किया जाना है और बाकी चार कराची के पाकिस्तानी शिपयार्ड कराची शिपयार्ड एंड इंजीनियरिंग वर्क्स (KS and EW) में बनाए जाएंगी. साल 2015 में इन्हें लेकर दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित अनुबंध हुआ था.


क्या है पाकिस्तान की हंगोर क्लास सबमरीन की खासियत?
हंगोर क्लास एक डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन है. सबमरीन को सतह पर आने या स्नॉर्किंग के लिए डीजल इंजन से पावर मिलती है क्योंकि उस वक्त उसको हवा की जरूरत होती है. साथ ही जब सबमरीन की बैटरी चार्ज होती है तो इसको पानी के अंदर भी ऑपरेट किया जा सकता है. हंगोर क्लास पनडुब्बी में 21 इंच के टोरपीडो ट्यूब हैं और इनसे एंटी-शिप मिसाइलों को लॉन्च किया जा सकता है. यह 450 किमी रेंज की बाबर-3 सबसोनिक क्रूज मिसाइल को भी लॉन्च करने में भी सक्षम है.


भारत की कलवरी क्लास सबमरीन से कैसे बेहतर है पाकिस्तान की हंगोर क्लास पनडुब्बी
भारत की कलवरी क्लास पनडुब्बी फ्रेंच स्कोर्पीन-क्लास पर आधारित है. भारतीय नौसेन में फिलहाल 6 कलवरी क्लास पनडुब्बियां हैं और साल 2030 की शुरुआत तक तीन और पनडुब्बी इंडियन नेवी में शामिल हो सकती हैं. कलवरी क्लास पनडुब्बी में 1,775 विस्थापन क्षमता है और यह लंबाई 67.5 मीटर लंबी है. वहीं, हंगोर क्लास पनडुब्बी की लंबाई 76 मीटर और चौड़ाई 8.4 मीटर है. इसकी विस्थापन क्षमता 2,800 टन है.


दोनों ही सबमरीन की स्पीड 37 किमी प्रति घंटा है और दोनों ही डीजल इलेक्ट्रिक हैं. ऐसी सबमरीन की बैटरी को हर 2-5 दिन में रिचार्ज करने की जरूरत होती है और इसके लिए उसे जमीन पर आने की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में दुश्मन के द्वारा इसे डिटेक्ट कर पाना आसान हो जाता है. ऐसे में एआईपी समंदर के अंदर सबमरीन की लाइफ बढ़ा देता है. यही वजह है कि सबमरीन की समंदर पानी में रह पाने की क्षमता उसकी यूएसपी मानी जाती है.


यह भी पढ़ें:-
'CBI हमारे नियंत्रण में नहीं है', केंद्र ने बंगाल सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में कहा, जानें किसने क्या दलील दी?