नई दिल्ली: मिडिल ईस्ट में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच इस साल गणतंत्र दिवस की परेड में भारतीय नौसेना की झांकी का थीम है ''खाड़ी देशों से अपने जहाजों को सुरक्षित बाहर निकालना.'' साफ है कि भारतीय नौसेना एक बार फिर से फारस की खाड़ी में मंडरा रहे युद्ध के बादलों से निपटने के लिए तैयार है.


भारतीय नौसेना के एक अधिकारी के मुताबिक, इस साल नौसेना की झांकी में भारत की समुद्री ताकत का नमूना देखने को मिलेगा. इसमें जल, थल और आकाश में नौसेना की ताकत दिखाई पड़ेगी. नौसेना का थीम है- साइलेंट, स्ट्रांग और स्विफ्ट यानि मौन, ताकतवर और तीव्र. 26 जनवरी को राजपथ पर नौसेना की राष्ट्र-निर्माण में प्रतिबद्धता, समंदर में तेल के कुएं इत्यादि जैसी राष्ट्र-संपत्ति की सुरक्षा और प्राकृतिक आपदा में नौसैनिकों की अहम भूमिका को दर्शाया जायेगा. इसके लिए बुधवार को नौसेना अपनी झांकी का मीडिया प्रीव्यू भी करने जा रही है.


नौसेना के मुताबिक, इसके अलावा इस साल गणतंत्र दिवस की झांकी में मुख्य आर्कषण का केंद्र रहेगा खाड़ी के देशों से एस्कॉर्ट-ऑपरेशन्स. इसमें दिखाया जायेगा कि कैसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत अपने तेल और मालवाहक जहाजों को फारस की खाड़ी से सुरक्षित निकालकर लाते हैं. हाल ही में (जून 2019 में) जब ओमान की खाड़ी में दो ऑयल-टैंकर्स पर हमला हो गया था, तब भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन संकल्प के जरिए भारत के कॉमर्शियल-जहाजों को सुरक्षित वहां से बाहर निकाला था. इसके लिए भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोतों को फारस की खाड़ी में तैनात किया था ताकि किसी भी तरह से समुद्री-रास्ते पर कोई रूकावट ना आए.


आपको बता दें कि इस महीने की तीन तारीख (शुक्रवार) को अमेरिका के हवाई हमले में ईरान के बड़े सैन्य कमांडर, कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी. इसके बाद ईरान ने इस हत्या का बदला लेने का ऐलान किया है. माना जा रहा है कि ईरान ने अमेरिका के फिफ्थ-फ्लीट (जो फारस की खाड़ी में ही तैनात रहता है) पर हमला किया तो स्थिति गंभीर बन सकती है. दोनों देशों में युद्ध हुआ तो भारत सहित एशिया के एक बड़े हिस्से की तेल की सप्लाई प्रभावित हो सकती है.


साल 2015 में भी भारतीय नौसेना ने यमन में फंसे भारतीय मूल के नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए ऑपरेशन राहत लॉन्च किया था जिसके लिए भारत के साथ-साथ पूरी दुनिया में प्रंशसा की गई थी. इसके अलावा भारतीय नौसेना के युद्धपोत इस समुद्री-क्षेत्र में अपने युद्धपोतों से पैट्रोलिंग भी करती है ताकि सोमालियाई या दूसरे समुद्री-डकैत किसी जहाज या क्रू को बंधक या अगवा ना कर लें.


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