INS Imphal: हिंद महासागर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत ने समुद्र में अपनी ताकत को मजबूत करने के लिए मंगलवार (26 दिसंबर) को स्वदेशी युद्धपोत 'आईएनएस इंफाल' को भारतीय नौसेना बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा. सतह से सतह पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस स्टील्थ गाइडेड मिसाइल विध्वंसक दुश्मन के छक्के छुड़ाने में कामयाब होगा.
दरअसल, नौसेना में शामिल होने वाला यह पहला युद्धपोत होगा जिसका नाम पूर्वोत्तर क्षेत्र के किसी शहर के नाम पर रखा गया है. इस स्वेदश निर्मित युद्धपोत को राष्ट्रपति की ओर से अप्रैल 2019 में मंजूरी दी गई थी.
अधिकारियों ने कहा कि युद्धपोत को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में मुंबई स्थित नौसेना की गोदी (डॉकयार्ड) में आयोजित एक समारोह में शस्त्र बल में शामिल किया जाएगा. युद्धपोत का नाम मणिपुर की राजधानी के नाम पर रखा जाना राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धि के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र के महत्व को रेखांकित करता है. इस युद्धपोत की अपनी कई खासियतें हैं जिनको बिंदुवार तरीके से आसानी से समझा जा सकता है.
इस युद्धपोत में क्या है खास, एक नजर में समझें
- 1. युद्धपोत का वजन 7,400 टन और कुल लंबाई 164 मीटर है.
- 2. सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और पोत विध्वंसक मिसाइलों तथा टॉरपीडो से लैस है.
- 3. बंदरगाह और समुद्र दोनों में व्यापक परीक्षण कार्यक्रम पूरा करने के बाद आईएनएस इंफाल 20 अक्टूबर को भारतीय नौसेना को सौंपा गया था.
- 4. पिछले माह विस्तारित-रेंज वाली सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण हुआ जोकि किसी भी स्वदेशी युद्धपोत को शामिल करने को अपने तरह का पहला परीक्षण था.
- 5. इंफाल एक अत्याधुनिक युद्धपोत है, जिसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो की ओर से डिजाइन किया गया.
- 6. युद्धपोत निर्माण में भारत की क्षमता को प्रदर्शित करते हुए इसमें 75 फीसदी स्वदेशी सामग्री प्रयोग की गई.
- 7. 30 समुद्री मील से अधिक की गति में सक्षम जहाज को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया है.
- 8. पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टॉरपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टरों से प्रदान की जाती हैं.
- 9. जहाज को परमाणु, जैविक और रासायनिक (NBC) युद्ध स्थितियों के तहत संचालित करने के मकसद से डिज़ाइन किया गया है.
- 10. मझगांव डॉक लिमिटेड की ओर से निर्मित इस स्वदेशी वॉरशिप में MSMEs और DRDO सहित सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों का महत्वपूर्ण योगदान है.
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(भाषा इनपुट्स के साथ)