Yuan Wang 6: भारत के मिसाइल टेस्ट को ट्रैक करने के लिए हिंद महासागर में आया चीन का जासूसी जहाज, इंडियन नेवी रख रही नजर
Chinese Spy Ship Yuan Wang 6: भारत बंगाल की खाड़ी में अपनी पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से मिसाइल परीक्षण करने वाला है, उससे पहले चीनी स्पाई शिप ने हिंद महासागर में डेरा डाल दिया है.
Chinese Spy Ship in Indian Ocean: चीन के 'स्पाई शिप' को भारत हिंद महासागर क्षेत्र में दाखिल होने से पहले से ही ट्रैक कर रहा है. फिलहाल यह जहाज इंडोनेशिया के करीब है और माना जा रहा है कि 10-11 नवंबर को भारत की ओर से किए जाने वाले एक बड़े मिसाइल परीक्षण की जासूसी के इरादे से हिंद महासागर में पहुंचा है. चीन का 'युआन वांग-6' जहाज ठीक वैसा ही है जैसा कि अगस्त के महीने में श्रीलंका के विवादास्पद बंदरगाह हम्बनटोटा में आया था.
भारतीय सुरक्षा तंत्र के सूत्रों की मानें तो पिछले छह दिनों से भारतीय नौसेना चीन के स्पाई शिप युआन वांग-6 की हर मूवमेंट और गतिविधि पर नजर बनाए हुए है. यहां तक कि हिंद महासागर में दाखिल होने से पहले से ही नौसेना उस पर नजर बनाए हुए थी.
इस वक्त यहां है चीन का स्पाई शिप
'मरीन-ट्रैफिक' साइट के अनुसार युआन वांग-6 की मौजूदा लोकेशन इंडोनेशिया है और वह अगले कुछ दिनों तक हिंद महासागर में ही रहेगा. मरीन ट्रैफिक के मुताबिक, युआन वांग एक रिसर्च और सर्वे वैसल है और पिछले महीने की 21 तारीख को चीन के बंदरगाह से खुले समंदर के लिए निकला था.
इस बीच ओपन सोर्स इंटेलीजेंस, डैमयेन सिमोन के मुताबिक, 10-11 नवंबर के लिए भारत ने पूरी बंगाल की खाड़ी में नोटैम यानि नोटिस टू एयरमैन जारी किया है. इसके तहत दो दिनों के लिए पूरी बंगाल की खाड़ी नो फ्लाई जोन होगी. माना जा रहा है कि भारत अपनी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत से के-4 मिसाइल का परीक्षण कर सकता है, जिसकी रेंज करीब 3500 किलोमीटर है.
क्या है चीनी स्पाई शिप का मकसद?
आशंका है कि चीन का स्पाई शिप युआन वांग-6 भारत के इस मिसाइल परीक्षण को ट्रैक करने के लिए ही हिंद महासागर में आया है क्योंकि पिछले महीने ही (14 अक्टूबर) को आईएनएस अरिहंत से एक बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया गया था. वह के-15 मिसाइल थी जिसकी रेंज करीब 750 किलोमीटर है.
अगस्त में भी चीन ने भेजा था एक जासूस जहाज
बता दें कि इसी साल अगस्त के महीने में भी चीन का एक स्पाई शिप युआन वांग-5 श्रीलंका के हम्बनटोटा बंदरगाह पहुंच था. कहने को तो यह जहाज एक रिसर्च और सर्वे शिप था और रिफ्यूलिंग के लिए हम्बनटोटा पहुंच था लेकिन हकीकत यह है कि इसका इस्तेमाल चीन जासूसी के लिए करता है. यह जहाज बैलिस्टिक मिसाइल और सैटेलाइट ट्रैकिंग शिप था. उस वक्त भी इस बात की आशंका जताई गई थी कि चीन इस जहाज का इस्तेमाल भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों की जासूसी के लिए कर सकता है. यही वजह है कि भारत ने श्रीलंका से इस जहाज को लेकर अपनी आपत्ति जताई थी. शुरुआत में तो श्रीलंका मान गया था लेकिन फिर आने की इजाजत दे दी थी.
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