India vs China Strategy: पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी चीनी सेना की ओर से भारत की जमीनी सीमाओं पर लगातार छोटी-मोटी झड़पों की घटनाएं सामने आती रही हैं. बीते कुछ सालों में चीनी सेना की ये हिमाकतें तेजी से बढ़ी हैं. अरुणाचल प्रदेश के तवांग के हालिया मामले से पहले डोकलाम और गलवान घाटी में भी भारतीय सेना के सामने इसी तरह के हालात पैदा किए गए थे. सवाल ये है कि जमीनी सीमाओं पर भारत से लगातार भिड़ने वाला चीन आखिर ये हरकतें क्यों कर रहा हैं? इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि समंदर चीन की दुखती रग बन चुका है. आइए जानते हैं कैसे?
उकसावे की रणनीति पर क्यों आगे बढ़ रहा है चीन?
दरअसल, भारत वैश्विक स्तर पर एक बड़ी ताकत के तौर पर उभर रहा है. सुपर पावर अमेरिका से लेकर रूस जैसे देश भी भारत की विदेश नीति के कायल हो चुके हैं. चीन नहीं चाहता है कि एशिया में भारत ऐसी ताकत बन जाए, जिससे उसको चुनौती मिले. यही वजह है कि भारत के साथ लगती जमीनी सीमाओं पर चीन झड़पों के जरिये युद्ध के लिए उकसाने की रणनीति अपना रहा है. हालांकि, चीन भारत के साथ युद्ध नहीं लड़ना चाहता है. लेकिन, इस तरह की घटनाओं से भारत का ध्यान अपनी समुद्री सीमाओं की ओर नहीं जा पा रहा है. जो चीन भी चाहता है.
समंदर में कैसे मजबूत हो रहा भारत?
बीते कुछ सालों में चीन ने हिंद महासागर से लगते कई देशों में बंदरगाह और सैन्य ठिकाने बना लिए हैं. पाकिस्तान में ग्वादर, श्रीलंका में हंबनटोटा, द्वीप राष्ट्र मालदीव समेत कई देशों में चीन ने अपने ठिकाने बना लिए हैं. इसके साथ ही बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के जरिये चीन मध्य एशिया तक अपनी रणनीतिक पहुंच को बढ़ा रहा है. अफ्रीकी देश जिबूती में चीन का सैन्य ठिकाना हिंद महासागर में भारत के लिए चिंता का कारण बन रहा है.
जिसके जवाब में भारत ने नेकलेस ऑफ डायमंड की रणनीति अपनाकर चीन की घेराबंदी शुरू कर दी है. नेकलेस ऑफ डायमंड की रणनीति से हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के क्षेत्र में भारत को रणनीतिक और कूटनीतिक सफलता मिली है. जो लगातार मजबूत हो रही है. नेकलेस ऑफ डायमंड की रणनीति के तहत भारत ने दक्षिण एशियाई देशों, हिंद महासागर के द्वीप देशों के साथ अपने सामरिक रिश्तों को मजबूत किया है. साथ ही क्वाड के सदस्य देशों अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य अभ्यासों के जरिये चीन को अपनी ताकत का अंदाजा लगवा रहा है.
इतना ही नहीं, भारत नेकलेस ऑफ डायमंड रणनीति के तहत चीन के पड़ोसी देशों में पोर्ट और एक्सटेंसिव कोस्टल सर्विलांस रडार सिस्टम स्थापित कर चीनी लड़ाकू पोत और सबमरीन पर नजर रखने की कोशिश कर रहा है. फिलहाल भारत ने ओमान में दाकाम, ईरान में चाबहार, इंडोनेशिया में सबांग द्वीप, सिंगापुर में चांगी पोर्ट को लेकर समझौते किए हैं. वहीं, मालदीव, सेशल्स, मॉरीशस, वियतनाम और मंगोलिया जैसे देशों के साथ रक्षा सहयोग को लेकर कई समझौते किए हैं.
भारत ने न्यूजीलैंड, सिंगापुर, थाइलैंड, ब्रुनेई, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस, इंडोनेशिया जैसे उन देशों से भी हाथ मिलाया है. जो चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ हैं. आसान शब्दों में कहें, तो भारत ने हिंद और प्रशांत महासागर के समुद्री क्षेत्र में चीन की घेराबंदी के कई इंतजाम कर लिए हैं. वहीं, इसे और अधिक मजबूत करने की कोशिशें भी लगातार की जा रही हैं. आसान शब्दों में कहें, तो समंदर चीन के लिए दुखती रग बन चुका है. जिसके चलते चीन नहीं चाहता कि भारत की जमीनी सीमा पर शांति बनी रहे. क्योंकि, इसकी वजह से भारत का ध्यान अन्य जगहों से बंटेगा. जिसका फायदा चीन को होगा.
चीन के सुपर पावर बनने की राह का सबसे बड़ा रोड़ा भारत
चीन खुद को दुनिया के नया सुपर पावर देश बनाने की कोशिशों में जुटा हुआ है. खुद को मजबूत करने के लिए चीन अपनी सेना और हथियारों की तादात बढ़ा रहा है. दूसरी ओर बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के बहाने चीन आर्थिक और कूटनीतिक विस्तार कर रहा है. लेकिन, अमेरिका ने चीन की घेराबंदी करने के लिए जी-7 देश के नेताओं के साथ मिलकर बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड (B3W) परियोजना शुरू की है. जो चीन के सुपर पावर बनने के सपने को धराशाई कर सकती है. वहीं, अमेरिका का इस रणनीति में भारत एक अहम भूमिका निभा रहा है.
अमेरिका ने चीन पर दबाव बनाने के लिए क्वाड देशों का समूह बनाया. जिसमें भारत को अहम स्थान दिया गया है. अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड देशों के समूह में शामिल भारत अब चीन की सुपर पावर बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनकर खड़ा हो गया. क्वाड देशों की छाया में ही आसियान से जुड़े 10 देश भी आते हैं. जो भारत के साथ अपने सामरिक रिश्तों को मजबूत करने में लगे हुए हैं.