Russia- Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच करीब नौ महीने से जारी युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. दिनों दिन खिंचते जा रहे इस युद्ध ने दुनिया भर में अपना असर छोड़ा है. ज़ाहिर है, भारत भी इससे अछूता नहीं रहा है और देश की अर्थव्यवस्था के लिए इस युद्ध ने परेशानियां खड़ी कर दी हैं. इस युद्ध से जुड़े हर पहलू पर सरकार का रुख जानने के लिए बुधवार (23 नवंबर) को संसदीय समिति की बैठक बुलाई गई है जिसमें विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया गया है. 

बीजेपी सांसद पीपी चौधरी विदेश मंत्रालय से जुड़ी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं. बुधवार (23 नवंबर) को होने वाली बैठक में विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी समिति के सामने मुख्य रूप से रूस युक्रेन युद्ध के भारत में पड़ रहे असर और इस असर से निपटने के लिए मोदी सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी देंगे.  


कूटनीति और अर्थनीति से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे


इसमें कूटनीति और अर्थनीति से जुड़े मुद्दे शामिल होंगे. आर्थिक विशेषज्ञों की मानें तो रूस और यूक्रेन भारत की ऊर्जा जरूरतों का बड़ा हिस्सा पूरा करता है. इसमें गैस और कच्चा तेल शामिल हैं और इस युद्ध के चलते भारत समेत दुनिया भर में ऊर्जा संकट पैदा हो गया है.  


भारत ने युद्ध को जल्दी खत्म करने कि बात की


भारत ने लगातार युद्ध को जल्दी खत्म कर बातचीत के ज़रिए इस मसले को सुलझाने की वकालत की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ख़ुद अलग-अलग मंचों और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत विश्व के तमाम नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों में साफ़ किया है कि आज का समय युद्ध का नहीं, बल्कि शांति का है.


देशों की सेनाओं को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है


पिछले 9 महीने से रूस और यूक्रेन के बीच जंग चल रहा है, जिसमें दोनों ही देशों की सेनाओं को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है. यूक्रेन का दावा है कि अब तक रूस के 84 हजार से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं. इसके अलावा यूक्रेन का दावा है कि बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान, हेलीकॉप्टर, टैंक, ड्रोन इत्यादि मार गिराए गए हैं. वहीं रूसी रक्षा मंत्रालय का दावा है कि युद्ध के दौरान यूक्रेन के 60 हजार से ज्यादा मारे गए हैं. 


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