Section 420: समय के साथ आईपीसी तो भूल जाएं लेकिन सेक्शन 420 आसानी से नहीं भुलाया जाएगा, जानिए क्यों?
IPC Section 420: सेक्शन 420 आईपीसी की सबसे फेमस धारा रही है, जिसका इस्तेमाल रोजमर्रा की जिंदगी में भी किया जाता है. किसी धोखेबाज को 420 का उपनाम दिया जाता रहा है.
Bhartiya Nyay Sanhita: तीन नए आपराधिक कानून सोमवार (1 जुलाई) को लागू हो गए. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की जगह लेगी, भारतीय न्याय संहिता (BNS) भारतीय दंड संहिता की जगह लेगी और इंडियन एविडेंस एक्ट भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगा.
भारतीय दंड संहिता की सभी धाराओं में सबसे प्रचलित धारा 420, जिसका प्रयोग रोजमर्रा की बोलचाल में होता था. 1860 में दंड संहिता के लागू होने के 164 सालों के बाद सोमवार (1 जुलाई) से खत्म हो गई. इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी रिएक्शन देखने को मिले, जिसमें एक यूजर ने लिखा कि अब कहावतों को भी दुरुस्त करना पड़ेगा. एक अन्य यूजर ने लिखा कि अब किसी को 420 नहीं कह सकेंगे क्योंकि अब वो 318 में बदल गया है.
‘बहुत याद आएगी धारा 420’
इन्हीं सोशल मीडिया यूजर्स की तरह सीनियर एडवोकेट और सांसद महेश जेठमलानी ने कहा था, “उन्हें आपीसी के कुछ सेक्शन, खासतौर पर 420 बहुत याद आएगा क्योंकि ये हर किसी के दिमाग में छपा हुआ है.”
राज्यसभा में 2023 के दौरान संशोधन विधेयकों पर बहस के दौरान महेश जेठमलानी ने कहा था, “मैं 42 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूं. हालांकि नए के लिए रास्ता तो देना ही होगा लेकिन इसके कुछ हिस्से ऐसे हैं जिसे बहुत मिस किया जाएगा. धारा 420 हमारे दिमाग में छपी हुई है.” दरअसल, धोखाधड़ी और बेईमानी से निपटने वाली धारा 420 न केवल देश की आपराधिक न्याय प्रणाली की आधारशिला रही है, बल्कि भारतीय संस्कृति में भी काफी लोकप्रिय रही है.
क्यों याद आएगी धारा 420?
धारा 420 की छाप कानून और न्याय के दायरे से आगे बढ़कर, किसी ऐसे व्यक्ति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल की जाती थी जो चालाक या धोखेबाज हो. इतना ही नहीं राजनेताओं ने भी इस शब्द का इस्तेमाल अपने राजनीतिक विरोधियों पर बेईमानी और धोखाधड़ी का आरोप लगाने के लिए किया. ये प्रावधान रोजमर्रा की बातचीत की भाषा का अभिन्न अंग बन चुका है, जिससे छुटकारा पाना इतना आसान नहीं होगा.
वरिष्ठ अधिवक्ता और सांसद महेश जेठमलानी ने 2023 में कहा, "कभी-कभी हमारे माता-पिता हमें डांटते थे और कहते थे कि 'चार सौ बीसी मत करो, हमें इसकी कमी खलेगी." जेठमलानी ने कहा, "यह बॉलीवुड का हिस्सा बन गया और राज कपूर के साथ श्री 420 नाम से एक फिल्म बनी."
सेक्शन 420 को बॉलीवुड ने तब और लोकप्रिय बनाया जब रॉबिन विलियम्स की मिसेज डाउटफायर की रीमेक चाची 420 1997 में रिलीज हुई. इसमें कमल हासन तलाक के बाद अपनी बेटी के पास रहने के लिए लक्ष्मी गोडबोले नामक महिला नानी का भेष धारण करते हैं. यह टाइटल फेमस (या बदनाम) सेक्शन 420 की याद दिलाता है.
धारा 420 के खत्म होने से एक युग का अंत हो गया है, लेकिन इसका सांस्कृतिक महत्व और प्रभाव जल्द ही खत्म होने वाला नहीं है. कोई भी सोच सकता है कि क्या 318 भी वही किक दे पाएगा जो 420 देता है.
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