EIU की रिपोर्ट: युवाओं की आर्थिक असुरक्षा से तय होगी भारत की राजनीति
ईआईयू ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि देश की राजनीति का स्वरूप तय करने में देश की बड़ी युवा आबादी की आर्थिक असुरक्षा की भूमिका बढ़ेगी.
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नई दिल्ली: भारत में आर्थिक नरमी के बढ़ने और रोजगार से जुड़े मुद्दों को देखते हुए देश की राजनीति की आगे की दशा और दिशा तय करने में यहां की विशाल युवा आबादी के मन की आर्थिक असुरक्षा का बड़ा असर होगा. ये दावा है ईआईयू यानी इकॉनमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट का.
इकॉनमिस्ट इंटेलीजेंस यूनिट (ईआईयू) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, साल की शुरुआत में मजबूत नेतृत्व के साथ सामाजिक और सुरक्षा मुद्दों पर जोर देने के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी को वापस सत्ता में लाने में भले ही सफल रहे हों लेकिन देश की राजनीति का स्वरूप तय करने में देश की बड़ी युवा आबादी की आर्थिक असुरक्षा की भूमिका बढ़ेगी.
ईआईयू ने अपनी इस रिपोर्ट में इंडियन इकॉनोमी मॉनिटरिंग के आंकड़ों का उदाहरण पेश किया है. ईआईयू ने कहा कि अक्टूबर 2019 में देश की बेरोजगारी दर तीन साल के उच्च स्तर यानी 8.5 प्रतिशत पर पहुंच गई जबकि सितंबर में यह 7.2 प्रतिशत था. अगले कुछ दशक में देश को जनांकिकीय लाभांश से फायदा मिलने की उम्मीदों के बावजूद रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में रोजगार की दर उस गति से नहीं बढ़ रही जिस गति से लेबर फोर्स बढ़ रही है.
विश्वबैंक के 2018 के एक अनुमान के मुताबिक भारत को अपने यहां रोजगार का स्तर बनाए रखने के लिए हर वर्ष औसतन 81 लाख रोजगार के अवसर पैदा करने की जरूरत होगी. ईआईयू की रिपोर्ट में कहा गया है, "हालांकि रोजगार का आधिकारिक आंकड़ा स्पष्ट नहीं है क्योंकि विशाल असंगठित क्षेत्र में उपलब्ध रोजगार को मापना थोड़ा मुश्किल काम है और यह आंकड़े राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील भी हैं."
ईआईयू के अनुसार सरकार के अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के प्रयास अपर्याप्त हैं, लेकिन यह रोजगार निर्माण से जुड़ी बुनियादी समस्याओं के निपटारे की उम्मीद जगाते हैं, क्योंकि देश की रोजगार निर्माण की समस्या से निजात के लिए लघु अवधि के प्रोत्साहन के मुकाबले ढांचागत सुधारों की जरूरत है.
ऐतिहासिक तौर पर देश के लोग सरकार के प्रदर्शन के बजाय जातीय आधार पर मतदान करते रहे हैं. ईआईयू का दावा है कि अब हिंदू-राष्ट्रवाद एजेंडा को हवा देने वाले अधिकतर मुद्दों का समाधान हो चुका है. ऐसे में मोदी के सामने अपनी लोकप्रियता को बनाए रखने की चुनौती होगी क्योंकि मतदाताओं के बीच आर्थिक मोर्चे पर धीमी प्रगति का गुस्सा धीरे-धीरे बढ़ रहा है.
रिपोर्ट में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 और उच्चतम न्यायालय के अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ करने का उदाहरण भी दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजेपी को राज्यसभा में 2021 तक सामान्य बहुमत मिल जाएगा और इससे सरकार के पास श्रम बाजार में बदलाव लाने वाले अधिक विधेयक आसानी से पास कराने की सुविधा होगी.
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