नई दिल्ली: अपने देश में लंबी यात्रा के लिए ज्यादातर लोग रेलवे से ही सफर किया करते हैं. इस सफर के दौरान यात्री को स्टेशन तक पहुंचाने या रिसीव करने का भी खूब चलन है. पहुंचाने या रिसीव करने का काम प्लेटफॉर्म तक होता है. लेकिन रेलवे ने यात्री के अवलावा प्लेटफॉर्म पर आने वालों के लिए टिकट लाजमी कर रखा है.
लेकिन कई बार लोग इसे अनदेखा कर बिना प्लेटफॉर्म टिकट के ही सगे-संबंधियों को छोड़ने चले जाते हैं. उन्हें लगता है कि अगर रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ द्वारा उन्हें प्लेटफॉर्म पर बिना प्लेटफॉर्म टिकट के पकड़ भी लिया गया तो वह मात्र 250 रुपये देकर छूट जाएंगे मगर वास्तव में ऐसा नहीं है.
दरअसल प्लेटफॉर्म टिकट को लेकर रेलवे के कुछ नियम हैं जिससे लोग अंजान हैं. उन्हें लगता है कि अगर पकड़े गए तो सिर्फ 250 रुपये की मामूली रकम देकर छूट जाएंगे लेकिन अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो सावधान हो जाइए.
आज हम आपको बताएंगे कि अगर आप प्लेटफॉर्म टिकट के बिना पकड़े गए तो रेलवे आपपर कितना आर्थिक दंड लगा सकता है.
क्या है प्लेटफॉर्म टिकट
रेलवे के नियमानुसार केवल यात्री ही प्लेटफॉर्म पर जा सकते हैं. यानी जिनके पास किसी एक जगह से दूसरी जगह तक यात्रा करने का टिकट हो वह प्लेफॉर्म पर जा सकते हैं लेकिन अन्य सभी को एक प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए एक अन्य टिकट खरीदना पड़ता है जिसे प्लेटफॉर्म टिकट कहते हैं.
प्लेफॉर्म टिकट का दाम
यह टिकट रेलवे 10 रुपये में देता है. इसे आप टिकट काउंटर से खरीद सकते हैं. टिकटों को प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध स्थान के अनुसार जारी किया जाता है. इस टिकट पर किसी भी तरह की धन वापसी की अनुमती नहीं होती. ये टिकट दो घंटे के लिए मान्य होता है.
बिना प्लेटफॉर्म टिकट के पकड़े गए तो क्या हैं नियम
अगर आपने जानबूझ कर या भूल से टिकट नहीं खरीदते है और रेलवे टिकट चेकिंग स्टाफ आपको पकड़ लेती है तो आपपर 250 रुपये का फाइन लगाया जाएगा. साथ ही उस प्लेटफॉर्म पर जो आखिरी ट्रेन आई है, वो ट्रेन जहां से बनती है उसके किराया का दोगुना दाम आपसे रेलवे आर्थिक दंड के रूप में लेगा.
उदाहरण के लिए अगर आप नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के उस प्लेटफॉर्म पर पकड़े गए हैं जहां गुवाहाटी-नई दिल्ली राजधानी पहुंची है तो आपको गुवाहाटी से नई दिल्ली की राजधानी एक्सप्रेस के किराया का दोगुना देना होगा. गुवाहाटी से नई दिल्ली राजधानी का किराया 2780 रुपये है तो आपको 5560 रुपये आर्थिक दंड के रूप में रेलवे को देना होगा.
मान लीजिए अगर आप लखनऊ के रेलवे स्टेशन के उस प्लेटफॉर्म पर खड़े हैं जहां नई दिल्ली- मुजफ्फरपुर सप्त क्रांति एक्सप्रेस गुजरी है और आप बिना प्लेटफॉर्म टिकट पकड़े गए हैं तो आपको मुजफ्फरपुर से लखनऊ तक के किराये का दोगुना जुर्माना वसूला जाएगा.
क्या है प्लेटफॉर्म टिकट का इतिहास
प्लेटफॉर्म टिकट की शुरुआत 1893 में जर्मनी में हुई. पहले टिकट गार्ड या कलेक्टर एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में जाकर करते थे. तब उन्हें ऐसा करने के लिए ट्रेन से नीचे उतरकर दूसरे डिब्बे में जाना पड़ता था. इस वजह से कई दुर्घटनाएं होने लगी तो रेलवे ने सोचा की अब टिकट प्लेटफॉर्म पर ही चेक किया जाए और जो लोग यात्रियों को छोड़ने आते हैं उनके लिए भी एक टिकट होना चाहिए. तब से ही प्लेटफॉर्म टिकट का सिलसिला शुरू हुआ। सबसे पहले इसकी शुरुआत जर्मनी की रॉयल प्रुसेन रेलवे ने 1893 में की थी.