(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Indian Railway: रेलवे ने साढ़े तीन किमी लंबी ट्रेन चलाकर किया कमाल, जानें 11 घंटे में तय की कितनी दूरी-Video
Super Vasuki Train: इस लंबी मालगाड़ी में 27,000 टन कोयला लदा था जो छत्तीसगढ़ में कोरबा से चलकर 260 किलोमीटर दूर राजनांदगांव के परमकला तक गई.
Super Vasuki Train: आपने अपने जीवन में कई रेल यात्राएं की होंगी, इस दौरान खूब लंबी-लंबी मालगाड़ियां देखी होंगी. अमूमन मालगाड़ियां यात्री ट्रेनों के मुकाबले लंबी होती भी हैं. एक तरीके से यह लंबी-लंबी मालगाड़ियां देश के अंदर महत्वपूर्ण सामान ढोने का काम करती हैं. क्या कभी आपने 3.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी के बारे में सुना है? इतनी लंबी ट्रेन के बारे में सुनकर जरूर हैरत होती है. छत्तीसगढ़ में 3.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी को 6 इंजन के साथ चलाया गया है. ये जानकारी खुद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ट्वूट करके दी है.
27,000 टन कोयला लाद कर दौड़ी ट्रेन
दरअसल, भारतीय रेलवे ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की. दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे जोन बिलासपुर में 15 अगस्त को 3.5 किलोमीटर लंबी मालगाड़ी चलाई गई जिसमें छह इंजन और 295 वैगन लगे थे. इस लंबी मालगाड़ी में 27,000 टन कोयला लदा था जो छत्तीसगढ़ में कोरबा से चलकर 260 किलोमीटर दूर राजनांदगांव के परमकला तक गई. ट्रेन को यह दूरी तय करने में 11 घंटे 20 मिनट लगे. वहीं इस लंबी मालगाड़ी से रेलवे को 'मालभाड़े' के रूप में 2.54 करोड़ रुपये का राजस्व मिला.
Super Vasuki - India's longest (3.5km) loaded train run with 6 Locos & 295 wagons and of 25,962 tonnes gross weight.#AmritMahotsav pic.twitter.com/3oeTAivToY
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) August 16, 2022
स्टाफ की बचत, यातायात दवाव कम
रेल मंत्री ने 'सुपर वासुकी' को लेकर किया ट्वीट, पांच मालगाड़ियों को जोड़कर बनाई गई इस मालगाड़ी का नाम रेलवे ने 'सुपर वासुकी' रखा है. केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस उपलब्धि को अपने ट्विटर हैंडल पर भी साझा किया और इसे देश की सबसे लंबी मालगाड़ी बताया. दक्षिण-पूर्व मध्य रेलवे लगातार इस तरह के सफल प्रयोग कर रहा है. इससे पहले 22 जनवरी 2021 को पांच खाली मालगाड़ियां जोड़कर भिलाई से कोरबा लाई गई थीं. इसे वासुकी नाम दिया गया था.
इनके अलावा एनाकोंडा, सुपर एनाकोंडा, शेषनाग नाम से भी लंबी दूरी की ट्रेनों का परिचालन बिलासपुर जोन से किया जा चुका है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि एक साथ तीन या पांच मालगाड़ियों को जोड़कर परिचालन से न केवल स्टाफ की बचत होती है, बल्कि रेलवे ट्रैक पर यातायात का दबाव भी कम होता है. इससे बिजली घरों तक समय पर कोयला पहुंचाया जा सकता है.