रेलवे बोर्ड ने सेवा की अनिवार्यताओं के अनुसार रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारियों को सलाहकार के तौर पर फिर से नियुक्त करने को मंजूरी दे दी है.


बोर्ड ने सभी क्षेत्रीय रेलवे और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को 29 अगस्त को भेजे गए परिपत्र में कहा कि रिटायर्ड रेलवे अधिकारियों की पुन: नियुक्ति सिर्फ 31 दिसंबर, 2026 तक ही वैलिड रहेगी.


इसमें कहा गया, 'राजपत्रित अधिकारियों के रिक्त पदों के कारण क्षेत्रीय रेलवे द्वारा अनुभव की जा रही परेशानियों को ध्यान में रखते हुए बोर्ड ने सेवाओं की अनिवार्यताओं के अनुसार रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारियों को सलाहकार के तौर पर पुन: नियुक्त करने को मंजूरी दी है.'


परिपत्र में महाप्रबंधकों को सेवानिवृत्त रेलवे अधिकारियों को पुनः सेवा में लेने का अधिकार दिया गया है तथा इसके लिए 16 नियम व शर्तें बताई गई हैं. बोर्ड ने इसके लिए अधिकतम आयु सीमा 65 वर्ष निर्धारित की है. साथ ही उसने कहा है कि परामर्शदाताओं की नियुक्ति को पुनर्नियुक्ति का मामला नहीं माना जाएगा.


कर्मचारियों को हर महीने 1.5 पेड लीव मिलेगी, लेकिन ये छुट्टियां न तो आगे ट्रांसफर होंगी और न ही कर्मचारियों को इन्हें इकट्टा करने की अनुमति होगी. इसके अलावा, कॉन्ट्रेक्ट पूरा होने पर इन छुट्टियों के बदले कोई भुगतान भी नहीं किया जाएगा, जैसा कि आमतौर पर पर्मानेंट कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर मिलता है. 


सर्कुलर में यह भी कहा गया कि फिर से नौकरी पर रखे गए रिटायर्ड अधिकारी HRA और सरकारी आवास के हकदार नहीं होंगे. हालांकि, उन्हें घर से ऑफिस और ऑफिस से घर आने-जाने के लिए ट्रांसपोर्ट अलाउंस दिया जाएगा, लेकिन यह भत्ता उतना ही होगा, जितना अधिकारी को रिटायरमेंट तक मिलता था. अपॉइनमेंट के समय जो सैलरी फिक्स होगी, पूरे कॉन्ट्रेक्ट के दौरान वही रहेगी. सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर्मचारी कंसल्टेंट के तौर पर काम करेंगे, जिन्हें ऑफिस टूर के लिए टीए/डीए भी दिया जा सकता है. 


सर्कुलर में आगे यह भी कहा गया कि अगर यूपीएससी या डिपार्टमेंटल सेलेक्शन के तौर पर किसी को अपॉइंट किया जाता है, तो तत्काल ही पुन: नियुक्त अधिकारी को हटा दिया जाएगा. 


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