Indian Railways: रेलवे बोर्ड ने शुरुआती और गंतव्य स्टेशन के बीच विभिन्न बिंदुओं पर ट्रेन चालकों द्वारा गति पाबंदियों के उल्लंघन के कारणों का पता लगाने के लिए एक समिति गठित की है, गति पाबंदियों का उल्लंघन सुरक्षित ट्रेन परिचालन के लिए हानिकारक है.
सूत्रों के अनुसार, बोर्ड हाल की घटनाओं के बाद हरकत में आया है, जिसमें दो ट्रेन चालकों ने एक पुल पर 20 किलोमीटर प्रति घंटे की गति पाबंदी का उल्लंघन किया और अपनी ट्रेन 120 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चलाईं. पुल के रख-रखाव का काम चल रहा था.
गति सीमा के उल्लंघन से जुड़े मिले मामले
पहली घटना में, गतिमान एक्सप्रेस के लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ने आगरा कैंट के पास जाजौ और मनियां रेलवे स्टेशन के बीच एहतियाती गति सीमा का उल्लंघन किया. गतिमान एक्सप्रेस भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है और जो दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन और उत्तर प्रदेश के वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी जंक्शन के बीच 160 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चलती है.
रेलवे बोर्ड ने जारी किया था परिपत्र
गतिमान ट्रेन की घटना के कुछ ही दिन बाद, कटरा (जम्मू) और इंदौर (मध्य प्रदेश) के बीच चलने वाली एक अन्य ट्रेन, मालवा एक्सप्रेस के चालकों ने भी उसी स्थान पर इसी तरह का उल्लंघन किया और ट्रेन को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलाया. इन घटनाओं के तुरंत बाद रेलवे बोर्ड ने तीन जून को सभी जोन को एक परिपत्र जारी किया और कहा, 'रेलवे बोर्ड ने लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर (गार्ड) को जारी किए जा रहे सतर्कता आदेशों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित की है. समिति वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से लोको पायलट के साथ संवाद करना चाहती है, ताकि क्षेत्र स्तर पर सतर्कता आदेशों से संबंधित मुद्दों को समझा जा सके.'
बैठक में शामिल हुए 180 से ज्यादा लोको पायलट
इसमें सभी जोन को पांच जून को एक बैठक में भाग लेने के लिए प्रत्येक डिवीजन से लोको पायलट को नामित करने के लिए कहा गया. डिजिटल बैठक में शामिल एक लोको पायलट ने बताया, 'बैठक में 180 से ज्यादा लोको पायलट और लोको इंस्पेक्टर शामिल हुए और गति पाबंदियों का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करने के लिए कई सुझाव दिए गए.' रेलवे, पटरी की स्थिति, पटरी मरम्मत के चल रहे कार्य, पुराने रेलवे पुल और स्टेशन यार्ड रीमॉडलिंग आदि जैसे कई कारणों से ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए गति पाबंदी लगाता है.
क्या बोले रेलवे अधिकारी?
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इंजन पर चढ़ने से पहले लोको पायलट और उनके सहायक संबंधित परिचालन विभाग से दिशा-निर्देश और गति सीमा के साथ पूरा रूट चार्ट प्राप्त करते हैं और उन्हें उसी के अनुसार गति बनाए रखनी होती है. परिचालन के दौरान सहायक चालक इन दिशा-निर्देशों और सावधानियों को जोर से पुकारता है और चालक पुष्टि के लिए इसे दोहराता है.
बैठक में शामिल एक अन्य लोको पायलट ने कहा, ‘‘बैठक में कई सुझाव आए, उदाहरण के लिए, चालकों के एक वर्ग ने सुझाव दिया कि ट्रेन के गार्ड को चालक को वॉकी-टॉकी पर गति पाबंदी के शुरुआती बिंदु से तीन किलोमीटर पहले याद दिलाना चाहिए. कोटा डिवीजन के गार्ड इस प्रथा का पालन कर रहे हैं और रेलवे में इसे सभी जगह लागू करने का अनुरोध किया गया.'
समिति करेगी विचार
उन्होंने कहा, 'कुछ चालक चाहते थे कि सतर्कता आदेश ए4 आकार के सफेद कागज पर बड़े अक्षरों और बड़े फॉन्ट आकार में दिया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि चालकों को उनकी सुविधा के लिए पाबंदियों को चिह्नित करने के लिए अलग-अलग रंग के हाइलाइटर जारी किए जाने चाहिए.' प्रतिभागियों ने यह भी कहा कि बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि क्या स्थायी गति पाबंदी (पीएसआर) को भी सतर्कता आदेश का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। रेलवे बोर्ड के एक सूत्र ने कहा, 'समिति इन सुझावों पर विचार करेगी तथा अन्य तरीकों पर विचार-विमर्श करके यह निर्णय लेगी कि सुरक्षित रेल परिचालन के हित में गति पाबंदियों से संबंधित परिचालन मानदंडों में संशोधन की आवश्यकता है या नहीं.'
यह भी पढ़ें- रेलयात्रा में होगी आसानी, इस साल ट्रैक पर दौड़ सकती हैं 50 अमृत भारत ट्रेनें