नई दिल्ली: दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में शुमार भारतीय रेलवे की सेहत का ताजा रिपोर्ट कार्ड अच्छी खबर नहीं दे रहा. नियंत्रक महालेखा परीक्षण यानी कैग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रेलवे बीते एक दशक में अपने अब तक की सबसे कम कमाई के स्तर पर है. संसद में सोमवार को पेश कैग रिपोर्ट के अनुसार रेलवे की जहां कमाई घटी है वहीं परिचालन अनुपात 98 फीसद तक पहुंच गया है.


आसान शब्दों में कहें तो रेल नेटवर्क को चलाने में हो रहे सौ रुपये के खर्च पर रेलवे को केवल 2 रुपये ही हासल हो रहे हैं. हालांकि बीते एक दशक के दौरान रेलवे का परिचालन अनुपात 90 फीसद से 98 फीसद तक पहुंच गया है. कैग रिपोर्ट इस बात को भी रेखांकित करती है कि अगर एनटीपीसी और इरकॉन से अग्रिम राशि नहीं मिलती तो रेलवे का बही खाता 1665.61 के सरप्लस में नहीं बल्कि 5676.29 के घाटे में होता. साथ ही उसके परिचालन अनुसाप का आंकड़ा 102.66 तक पहुंच जाता.


इसके अलावा बीते तीन सालों में भारतीय रेलवे के रेवेन्यू सरप्लस में भी 66 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. साथ ही रेलवे के कैपिटल खर्च में आंतरिक संसाधनों की हिस्सेदारी भी 2014-15 में 26.14 से घटकर 2017-18 में 3.01 पर आ गई है. कैग के मुताबिक, सरकारी बजट आवंटन पर रेलवे की निर्भरता बहुत बढ़ गई है और उसके अधिकतर कैपिटल खर्च की आपूर्ती सरकार से मिलने वाले पैसों से ही हो रही है. नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने इस बात पर चिंता भी जताई है कि यदि बाहरी धन संसाधनों और कर्ज पर रेलवे की निर्भरता यूं ही बढ़ती रही तो उसकी माली हालत बेहद गंभीर हो जाएगी.


कैग रिपोर्ट के अनुसार रेलवे की यात्री रियायतों का करीब 90 फीसद राजस्व वरिष्ठ नागरिकों और रेलवे कर्मचारियों को हासिल पीटीओ के खाते में जा रहा है. रियायती टिकट पर एसी श्रेणियों में यात्रा करने वालों की संख्या बढ़ी है. साथ ही सीनियर सिटिजन वर्ग से रियायत छोड़ने की आग्रह की योजना नाकाम साबित हुई है.


कैग ने सलाह दी है कि आर्थिक सेहत सुधारने के लिए रेलवे बाहरी कर्ज या मदद पर निर्भरता घटाने के साथ ही आंतरिक साधनों को बढ़ाए. इसके अलावा राजस्व सरप्लस तथा परिचालन अनुपात को आर्थिक सेहत का पैमाना बनाना सुनिश्चत किया जाए.


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