Penalty On Indian Railways: जिला उपभोक्ता आयोग ने भारतीय रेलवे को एक यात्री को 30,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है. इस यात्री को तिरुपति से विजाग के दुव्वाडा तक की यात्रा के दौरान असुविधा का सामना करना पड़ा.


दक्षिण मध्य रेलवे (एससीआर) को बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण शारीरिक और मानसिक तनाव के लिए 55 साल के व्यक्ति को 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया, साथ ही कानूनी लागतों को कवर करने के लिए अतिरिक्त 5,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया.


क्या है मामला?


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, वी मूर्ति ने तिरुपति से दुव्वाडा तक तिरुमाला एक्सप्रेस ट्रेन में अपने और अपने परिवार के लिए चार 3AC टिकट बुक किए थे. उन्हें शुरू में B-7 कोच में बर्थ दी गई थी, हालांकि बाद में मूर्ति को एक मैसेज मिला जिसमें कहा गया कि उनकी बर्थ को 3A से 3E में बदल दिया गया है.


5 जून 2023 को मूर्ति और उनका परिवार तिरुपति रेलवे स्टेशन पर ट्रेन में सवार हुए. यात्रा के दौरान जब वे शौचालय का उपयोग करने गए तो वहां पानी नहीं था. इसके अलावा, कोच का एसी ठीक से काम नहीं कर रहा था और पूरा कोच गंदा था. मूर्ति ने इन समस्याओं की सूचना दुव्वाडा में संबंधित कार्यालय को दी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई.


रेलवे क्या किया दावा?


रेलवे ने दावा किया कि मूर्ति की शिकायत झूठे आरोपों पर आधारित थी जिसका उद्देश्य सरकारी खजाने की कीमत पर पैसे लेना था. उन्होंने तर्क दिया कि उन्होंने और उनके परिवार ने रेलवे की ओर से दी गई सेवाओं का उपयोग करके अपनी यात्रा सुरक्षित रूप से पूरी की.


इस पर जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग-I (विशाखापत्तनम) की पीठ ने कहा कि रेलवे का दायित्व है कि वह कार्यशील शौचालय और कार्यशील एसी जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करे, क्योंकि रेलवे ने टिकट लिया है और यात्रियों को आरामदायक यात्रा का वादा किया है.


आयोग ने कहा कि रेलवे ने मूर्ति की शिकायत को स्वीकार करते हुए शौचालय में पानी की समस्या को दूर करने के लिए कर्मचारियों को तैनात किया था, जो तकनीकी खराबी के कारण एयरलॉक से उत्पन्न हुई थी. आयोग ने आगे कहा कि ट्रेन बुनियादी सुविधाओं की जांच किए बिना ही चल रही थी.


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