नई दिल्ली: भारतीय रेलवे ने मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट में अपग्रेड करने के साथ किराया भी बढ़ा दिया है. दरअसल अब 48 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपरफास्ट में अपग्रेड किया गया है, इस वजह से इसमें सफर करने वाले यात्रियों को ज्यादा किराया देना पड़ेगा. 48 ट्रेनों की स्पीड को पहले से 50 किलोमीटर प्रति घंटा बढ़ा दिया गया है. इसके साथ ही सुपरफास्ट में अपग्रेड हुई ट्रेनों की संख्या 1,072 हो गई है.


कितना बढ़ा किराया?


इसके तहत अब यात्रियों को स्लीपर क्लास में सफर करने के लिए 30 रुपये अतिरिक्त देने होंगे, वहीं सेकेंड और थर्ड एसी के लिए 45 रुपये और फर्स्ट एसी में सफर करने के लिए 75 रुपये सुपरफास्ट सरचार्ज के तौर पर देने होंगे.


इन ट्रेनों को किया गया है अपग्रेड


जिन ट्रेनों को सुपरफास्ट में अपग्रेड किया गया है उनमें पुणे-अमरावती एसी एक्सप्रेस, पाटलिपुत्र-चंडीगढ़ एक्सप्रेस, विशाखापटनम-नांदेड़ एक्सप्रेस, दिल्ली-पठानकोट एक्सप्रेस, कानपुर-उधमपुर एक्सप्रेस, छपरा-मथुरा एक्सप्रेस, रॉक फोर्ट चेन्नई तिरुचिरापल्ली एक्सप्रेस, बैंगलोर-शिवमोग्गा एक्सप्रेस, टाटा विशाखापटनम एक्सप्रेस, दरभंगा-जालंधर एक्सप्रेस, मुंबई-मथुरा एक्सप्रेस और मुंबई-पटना एक्सप्रेस शामिल हैं.


ट्रेनों का लेट होना है बड़ी समस्या


हालांकि चिंता की बात यह है कि अभी भी कई ट्रेनें समय से नहीं चल रही है. यहां तक की राजधानी, शताब्दी और दुरंतो जैसी ट्रेनें भी इनदिनों देरी से चल रही हैं. रेलवे के मुताबिक, अगर कोई ट्रेन 15 मिनट तक की देरी से चलती है, तो उसे सही समय पर माना जाता है. इसके ऊपर 16 से 30 मिनट, 31 से 45 मिनट और 46 से 60 मिनट की देरी के मापदंड हैं. सबसे ऊपर एक घंटे या इससे अधिक की देरी है.


रेलवे ने अतिरिक्त कमाई के लिए स्लीपर कोच में सफर करने वालों की मुसीबत बढ़ा दी है. जनरल बोगी के टिकट पर अतिरिक्त शुल्क लेकर यात्रियों को बिना आरक्षण स्लीपर कोच में चढ़ने की छूट दे दी गई है, जिसका खामियाजा आरक्षित सीट पर सफर करने वाले भुगत रहे हैं.

खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली या इन दोनों राज्यों से होकर गुजरने वाली लंबी दूरी की ट्रेनों के स्लीपर कोचों में भीड़ का आलम यह होता है कि किसी को टॉयलेट जाने की जरूरत महसूस होती है, तो अपनी इच्छा दबाकर रखनी पड़ती है. .धक्के खाते हुए टॉयलेट तक पहुंचना आसान नहीं होता और अगर टॉयलेट तक पहुंच भी गए, तो उसमें सामान रखा या अखबार बिछाकर कई लोग बैठे मिल जाएंगे. स्लीपर कोचों के टॉयलेट में जब जाएं, तब पानी होगा ही, इसकी कोई गारंटी नहीं है.