Train Engine Dispute between Agra and Jaipur Divisions: जयपुर के रास्ते में ईंधन की कमी के कारण एक मालगाड़ी के इंजन को अलवर के पास ऊटवाड़ स्टेशन पर उसके डिब्बों से अलग करना पड़ा और ईंधन भरने के लिए 100 किमी से अधिक दूर अपने मूल स्टेशन मथुरा में वापस लाना पड़ा.
दो रेल मंडलों के बीच समन्वय में कमी के कारण यह घटना हुई. रेलवे सूत्रों ने शुक्रवार (27 अक्टूबर ) को यह जानकारी दी. संपर्क करने पर, दोनों मंडलों-आगरा और जयपुर के जनसंपर्क अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया कि वे इस मुद्दे पर गौर करेंगे और जवाब देंगे.
सूत्रों के मुताबिक, घटना 21 अक्टूबर की है, जब एक मालगाड़ी इलेक्ट्रिक इंजन के साथ दोपहर तीन बजे मथुरा से जयपुर के लिए रवाना हुई, लेकिन रास्ते में डीग स्टेशन पर आगरा नियंत्रण विभाग ने इसे दूसरी मालगाड़ी के डीजल इंजन से बदलने का फैसला किया.
मिलन बिंदु है अलवर
सूत्रों ने आगे बताया कि जब इंजन ऊटवाड़ स्टेशन पहुंचा तो उसमें 2,300 लीटर डीजल था, लेकिन जयपुर मंडल के नियंत्रण विभाग ने यह कहते हुए इसे अपने मंडल में प्रवेश करने से मना कर दिया कि इसमें ईंधन कम है. आगरा उत्तर मध्य रेलवे जोन के अंतर्गत आता है, जबकि जयपुर उत्तर पश्चिमी जोन के अंतर्गत आता है. अलवर दोनों मंडल के साथ-साथ जोन के बीच मिलन बिंदु भी है.
एक सूत्र ने कहा, "शाम साढ़े सात बजे आगरा मंडल ने इंजन को अलग करने और ईंधन भरने के लिए उसे वापस मथुरा लाने का फैसला किया. डिब्बों को ऊटवाड़ स्टेशन पर 10 घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा जब तक कि मथुरा में डीजल ईंधन भरने के बाद इंजन को वापस नहीं चलाया गया."
600 लीटर से 1,200 लीटर के बीच होता है रिजर्व तेल
उन्होंने कहा, "पूरी प्रक्रिया में करीब 10 घंटे लग गए और आखिरकार मालगाड़ी सुबह साढ़े पांच बजे ऊटवाड़ से जयपुर के लिए रवाना हुई." मालगाड़ी के इंजन के लोको पायलट का कहना है कि मालगाड़ी के इंजन में तेल का आरक्षित (रिजर्व) स्तर उसकी श्रेणी के आधार पर 600 लीटर से 1,200 लीटर के बीच होता है.
सूत्रों ने आगे बताया कि जब इंजन ऊटवार स्टेशन पहुंचा तो उसमें 2,300 लीटर डीजल था लेकिन जयपुर डिवीजन के नियंत्रण विभाग ने यह कहते हुए इसे अपने डिवीजन में प्रवेश करने से मना कर दिया कि इसमें ईंधन कम है.
'मालगाड़ी इंजन करता है प्रति किमी 5 लीटर तेल की खपत'
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन ( IRLRO) के कार्यकारी अध्यक्ष सनाजी पांधी का कहना है कि एक बार जब इंजन रिजर्व प्वाइंट पर पहुंच जाता है तो उसे ईंधन भरने की जरूरत होती है. उन्होंने कहा कि जब मालवाहक इंजन घंटों तक रेड सिग्नल पर खड़ा होता है तो बहुत अधिक मात्रा में तेल की खपत होती है. इसलिए रिजर्व के लिए अच्छी मात्रा में ऑयल की जरूरत होती है. एक मालगाड़ी का इंजन 1 किमी की दूरी तय करने में 5 लीटर तेल की खपत करता है.
'आसानी से जयपुर पहुंच जाता 2,300 लीटर ईंधन के साथ इंजन'
उत्तर मध्य रेलवे के सूत्रों का कहना है कि 2,300 लीटर ईंधन के साथ इंजन आसानी से जयपुर पहुंच जाता, जो मथुरा के बाद अगला ईंधन भरने वाला प्वाइंट है. इस मामले में दोनों डिवीजन दोस्ताना ढंग से काम नहीं कर सके.
'रेलवे को 10 घंटे की देरी का उठाना पड़ा खामियाजा'
दूसरी ओर, जयपुर डिवीजन के सूत्रों का कहना है कि इंजन में ईंधन कम था और आगरा डिवीजन को भेजने से पहले इसे अधिकतम स्तर तक भरना चाहिए था. अधिकारियों का कहना है कि कॉर्डिनेशन सही से नहीं होने की वजह से रेलवे को मैनपॉवर, ईंधन की बर्बादी, समय की प्रतिबद्धता में कमी और माल ढुलाई परिचालन में 10 घंटे से अधिक की देरी का खामियाजा उठाना पड़ा.
'रेलवे बोर्ड का मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों की समयबद्धता व सेवाओं में सुधार पर बल'
आगरा डिवीजन के एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने कहा कि इस तरह की घटना तब बहुत मायने रखती है जब रेलवे बोर्ड देश में मालगाड़ियों और यात्री ट्रेनों की समयबद्धता और सेवाओं में सुधार पर खास फोकस कर रहा है. दोनों डिवीजनों को बेहतर समन्वय दिखाने की जरूरत है.
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