किसी देश की नागरिकता हासिल करने के कईं विकल्पों में से एक निवेश भी है. कोरोना के चलते भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों की आवाजाही में फर्क पड़ा हो लेकिन इसके बाद भी भारतीय अमीरों में निवेश के द्वारा विदेश में नागरिकता की होड़ कम नहीं हुयी है. निवेश के जरिए नागरिकता पाने या निवेश के जरिए विदेश में आवास पाने की पड़ताल के मामले में 2020 की लिस्ट में एक बार फिर भारतीय अमीर पहले नंबर पर हैं. अमेरिका इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर है. दुनिया में कईं ऐसे देश हैं जो निवेश को आकर्षित करने के लिए नागरिकता ऑफर करते हैं. नागरिकता का यह कारोबार अब सालाना 2500 करोड़ डॉलर यानी करीब 1.8 लाख करोड़ रुपये का हो गया है.
2019 में 7000 अमीरों ने छोड़ा देश
वेल्थ इंटेलिजेन्स फर्म न्यू वर्ल्ड वेल्थ की 'ग्लोबल वेल्थ माइग्रेसन रिव्यू' नाम की एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में लगभग 7000 भारतीय अमीर दूसरे देशों में बसे हैं. हेन्ली एंड पार्ट्नर्स की ग्लोबल साउथ एशिया टीम की मुखिया और निदेशक निर्भय हांडा के अनुसार, "निवेश के जरिए नागरिकता पाने को लेकर 2019 में 1500 से ज्यादा भारतियों ने पूछताछ की थी. साल 2020 में इस आंकडें में 62 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है. " रिपोर्ट के अनुसार 2020 में कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया, मालटा और तुर्की में निवेश के जरिए नागरिकता को लेकर सबसे ज्यादा भारतीय नागरिकों ने पड़ताल की. हालांकि ऐतिहासिक तौर पर ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और ब्रिटेन इस मामले में हमेशा से भारतीय लोगों की पसंद रहे हैं.
कई कंपनियां कर रही हैं ये कारोबार
वर्तमान में कई कंपनियां निवेश के जरिये विदेश में नागरिकता दिलाने का कारोबार कर रहीं हैं. लंदन की हेनली एंड पार्टनर्स इस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी है. यह कंपनी अमीर लोगों की अलग-अलग देशों की नागरिकता हासिल करने में मदद करती है. निवेश कर मनचाहे देश के नागरिक बनने के अतिरिक्त भी कईं ऐसे विकल्प हैं, जिससे अन्य देश की नागरिकता प्राप्त होती है. जन्म के आधार पर और किसी देश में लंबे समय तक काम करने के आधार पर भी नागरिकता हासिल की जा सकती है. लेकिन पैसों के दम पर नागरिकता हासिल करने का कारोबार आजकल सबसे तेजी से बढ़ रहा है.
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