नई दिल्ली: अमेरिका में भारतीय मूल के वैज्ञानिक मुकेश कुमार ने शुरुआती प्रयोगों की सफलता के आधार पर दावा किया है कि गठिया (आर्थराइटिस) की दवा से कोरोना वायरस संक्रमण का सफल इलाज मुमकिन है. अमेरिका की जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में वायरस वैज्ञानिक डा. कुमार की अगुवाई में वैज्ञानिकों की टीम ने कोरोना वायरस से संक्रमित मनुष्य की कोशिकाओं पर इस दवा का सफल प्रयोग किया है. विश्वविद्यालय ने डा. कुमार के प्रयोग पर आधारित रिसर्च पेपर को पिछले सप्ताह प्रकाशित करते हुए यह जानकारी दी है.


डा. कुमार ने बताया कि जोड़ों की हड्डियों को कमजोर करने वाले गठिया रोग (रूमेटाइड आर्थराइटिस) के इलाज में दी जाने वाली 'औरानोफिन' दवा से कोरोना संक्रमित मरीज की कोशिकाओं में मौजूद कोविड-19 वायरस के संक्रमण को महज 48 घंटे में लगभग खत्म कर दिया गया. उनकी टीम अब जानवरों और मनुष्यों पर इसका समानांतर प्रयोग (क्लीनिकल ट्रायल) कर रही है. उन्होंने बताया कि प्रयोग का अंतिम परिणाम आने में एक से दो महीने लगेंगे.


अमेरिका ने 1985 में की थी दवाई की खोज


डा. कुमार ने बताया कि गठिया के इलाज के लिए स्वर्ण तत्वों से निर्मित (गोल्ड बेस) इस दवा की खोज, अमेरिका में 1985 में की गई थी. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि विभाग (एफडीए) ने इस दवा की खोज के बाद इसके इस्तेमाल की मंजूरी दे दी थी.


हरियाणा के सिरसा के रहने वाले हैं मुकेश


मूलत: हरियाणा के सिरसा से ताल्लुक रखने वाले डा कुमार, मध्य प्रदेश के महू स्थित पशु चिकित्सा महाविद्यालय से विषाणु विज्ञान में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद जॉर्जिया विश्विद्यालय में घातक विषाणुओं के इलाज पर शोध कर रहे हैं.


'संकट से निपटने के हैं दो उपाय'


उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस के वैश्विक संकट से निपटने के दो ही उपाय हैं- पहला, इसका टीका बनाना और दूसरा दवा की खोज करना. उनकी दलील है कि इलाज की खोज के भी दो तरीके हैं, पहला, नयी दवा की खोज करना और दूसरा, मौजूदा दवाओं में से कारगर साबित होने वाली दवा की खोज करना.


डा. कुमार के मुताबिक संकट की गंभीरता और तत्काल इलाज की जरूरत को देखते हुए सबसे त्वरित और कारगर उपाय, मौजूदा दवाओं में से इस वायरस को कमजोर करने वाली सटीक दवा की खोज करना है.


उनका दावा है कि औरानोफिन कोविड-19 के इलाज में प्रभावी साबित हो सकती है, क्योंकि यह स्वर्ण तत्वों से बनी है और स्वर्ण तत्वों पर आधारित दवाए वायरस के संक्रमण के इलाज में बहुत पहले से कारगर रही हैं.


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