नई दिल्ली: देश के शेयर बाजारों में इस साल नवंबर तक 161 प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (इनिशियल पब्लिक ऑफर) यानि आईपीओ के जरिये 5.52 अरब डालर (करीब 38,640 करोड़ रुपये) जुटाये. आईपीओ संख्या के लिहाज से भारतीय शेयर बाजार दुनियाभर में दूसरे स्थान पर रहे. एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है. 'ईवाई इंडिया आईपीओ रुझान: चौथी तिमाही 2018' रिपोर्ट के अनुसार बंबई शेयर बाजार और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में इस कैलेंडर वर्ष की चौथी तिमाही में केवल दो आईपीओ आये हैं. वहीं तीसरी तिमाही में यह संख्या तीन और 2017 की चौथी तिमाही में नौ रही थी.
इसी तरह की प्रवृत्ति लघु एवं मझोले उद्यमों (एसएमई) के आईपीओ बाजार में भी देखी गयी. साल 2018 की चौथी तिमाही में एसएमई के आठ आईपीओ आये. तीसरी तिमाही में यह संख्या 42 थी जबकि एक साल पहले 2017 की चौथी तिमाही में यह संख्या 31 रही. यह गिरावट क्रमश: 81 फीसदी और 74 फीसदी रही. आईपीओ लाने के मामले में निर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्र की कंपनियां सबसे आगे रही. वहीं निर्गम से जुटायी गयी राशि के मामले में फाइनेंस सर्विस सेक्टर सबसे आगे रहा.
ई वाई इंडिया में भागीदार और राष्ट्रीय प्रमुख (वित्तीय लेखा परामर्श) संदीप खेतान ने कहा, "चौथी तिमाही में पिछली तिमाही की तुलना में भारत में आईपीओ गतिविधियों में उल्लेखनीय गिरावट आयी है. घरेलू और वैश्विक कारक इसकी प्रमुख वजह रही. कंपनियां 'इंतजार करो और देखो' की नीति अपना रही हैं. साथ ही समय उपयुक्त होने पर आईपीओ लाने के लिये नियामक के पास विवरण दस्तावेज भी जमा कर रही है."
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अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध शुरू होने के बाद वैश्विक वृद्धि को लेकर अनिश्चितता से बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा है. शेयर बाजार में मध्यम और लघु पूंजी वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी के बाद आई उल्लेखनीय गिरावट का भी आईपीओ बाजार पर असर पड़ा है. इसके साथ ही गैर-बैंकिंग क्षेत्र की कंपनियों में नकदी का संकट. ढांचागत परियोजना क्षेत्र की प्रमुख कंपनी आईएल एण्ड एफएस में भुगतान संकट खड़ा होने तथा प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपये की घटबढ़ का बाजार पर असर रहा. इस बीच, 2018 में 261 आईपीओ के जरिये 60 अरब डालर जुटाने के साथ अमेरिका शीर्ष स्थान पर बना रहा.
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