भारतीय स्टूडेंट जो चीन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए थे, वे आज अपने भविष्य को लेकर परेशान हैं. इसी परेशानी से निजात पाने के लिए इन स्टूडेंट्स ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है. उन्होंने कहा है कि कोविड की वजह से उन्हें मेडिकल की पढ़ाई बीच में छोड़कर भारत आना पड़ा था और अब उन्हें उनकी पढ़ाई पूरी करने के लिए वहां वापस जाना होगा, नहीं तो इसका असर उनके भविष्य पर पड़ेगा.


दो साल से मेडिकल की पढ़ाई ऑनलाइन


रचिता कुर्मी जो चीन के शांडोन यूनिवर्सिटी में पहले साल की मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं और जनवरी 2020 में वो छुट्टियों पर भारत आई थीं. उन्हें फरवरी में अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए चीन जाना था, पर कोविड के बढ़ते प्रभाव के चलते और मार्च में लॉकडाउन लगने की वजह से वो वहां नहीं जा पाईं. कुर्मी ने बताया कि वो फिलहाल तीसरे साल की पढ़ाई कर रही हैं और बीते दो साल से मेडिकल की पढ़ाई ऑनलाइन कर रही हैं. कुर्मी ने भारत सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार उनकी और उनके जैसे दूसरे विद्यार्थियों की मदद करे, ताकि वे लोग दोबारा से चीन जाकर अपनी पढ़ाई ठीक ढंग से पूरी कर सकें.


'हमारा प्रैक्टिकल नहीं हो पा रहा है'


अद्वैत मस्तूर जो दूसरे साल के मेडिकल स्टूडेंट थे और अब चौथे साल की पढ़ाई कर रहे हैं. इन्होंने एबीपी न्यूज़ से कहा कि दो साल से मैं ऑनलाइन पढ़ाई कर रहा हूं. हमारा प्रैक्टिकल नहीं हो पा रहा है. हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वो हमें क्लिनिकल प्रैक्टिस करने की सुविधा एनएमसी रिकग्नाइज अस्पताल में प्रदान करे, ताकि जो वे ओनलाइन पढ़ रहे हैं, उसे प्रैक्टिकली समझ सकें.


मेडिकल स्टूडेंट संस्कृति पाटिल का कहना है कि अगर हमें यहां ऐसी सुविधा नहीं दी जा सकती, तो हमें वहां जाने दिया जाए. हमारे दोस्त जो चीन में हैं, वो प्रैक्टिकल की पढ़ाई कर पा रहे हैं. इसके अलावा जो पाकिस्तानी स्टूडेंट्स हैं, वो चीन पहुंच रहे हैं और अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं.


क्या है नियम?


अगर कोविड जैसी स्थिति नहीं होती, तो इन स्टूडेंट्स को चीन में दूसरे साल की पढ़ाई से ही प्रैक्टिकल करने का मौका मिलता और पांच साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत वापस आते. यहां पर उनका स्क्रीनिंग एग्जाम (फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम) होता और इसे पास करने के बाद उन्हें भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने का मौका मिल जाता है.


चीन में मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए भारत में होने वाली नीट (NEET) परीक्षा देनी होती है और जो लोग इसे पास करते हैं उन्हें ही चीन में मेडिकल की पढ़ाई का मौका मिलता है. चीन की वेबसाइट के मुताबिक, वहां मेडिकल की पढ़ाई करने वाले भारतीय स्टूडेंट्स की संख्या करीब 23 हजार है, जिसमें से ज्यादातर स्टूडेंट्स भारत में हैं और चीन जाने की कोशिश कर रहे हैं.


वहीं, एनएसयूआई (NSUI) के महाराष्ट्र के वाइस प्रेसिडेंट फैजल शेख ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि हमने सरकार को पत्र लिखा है और लगातार इन बच्चों के लिए उनसे निवेदन कर रहे हैं कि इन बच्चों के भविष्य की रक्षा की जाए और कोई रास्ता निकाला जाए, जिससे ये अपनी पढ़ाई ठीक तरह से पूरी कर सकें.


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