कोरोना की दिल दहला देने वाली खबरों के बीच ये खबर थोड़ी सी राहत देने वाली हो सकती है कि भारत में लोगों को दी जा रही दोनों वैक्सीन (कोवैक्सीन व कोविशील्ड) नए यूके स्ट्रेन के खिलाफ कारगर मानी जा रही हैं.


यूके वैरियंट के खिलाफ प्रभावी है भारतीय वैक्सीन


भारत में अब तक कोरोना के तीन वैरियंट्स देखे गए हैं. यूके वैरियंट, साउथ अफ्रीकन वैरियंट और ब्राजीलियन वैरियंट के तौर पर पहचाने जाने वाले ये तीनों ही वैरियंट बाहर से आए हैं. अब तक किसी भी भारतीय वैरियंट की पहचान नहीं की गई है. महाराष्ट्र में डबल म्यूटेशन के प्रकरण जरूर सामने आए हैं. भारत में जांच किए सैंपल्स में यूके वैरियंट व साउथ अफ्रीकन वैरियंट पाए जाने के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन बहुत की कम सैंपल्स में ब्राजिलियन वैरियंट पाया गया है. अधिकारियों का कहना है कि कोवैक्सीन, यूके और साउथ अफ्रीकन वैरियंट के खिलाफ प्रभावकारी है. कोविशील्ड, यूके वैरियंट के खिलाफ असरकारक है, जबकि ब्राजीलियन वैरियंट के खिलाफ इसके प्रभाव की दक्षता जानने के लिए संबंधित आंकड़ों की प्रतीक्षा है.


फिलहाल इंडियन स्ट्रेन नहीं


महाराष्ट्र में डबल म्यूटेशन के मामले चिंता का विषय हो सकते हैं, लेकिन ये मामले किसी इंडियन स्ट्रेन की ओर संकेत करते हैं, ये कहना जल्दबाजी होगी. आईसीएमआर के शोधकर्ता डबल म्यूटेशन को लेकर लगातार अध्ययन व शोध कर रहे हैं कि क्या इससे संक्रमण तेजी से फैल रहा है. अधिकारियों के मुताबिक वायरस लगातार म्यूटेट होता है और नए वैरियंट पैदा करता है. ये एक सामान्य प्रक्रिया है. किसी नए वैरियंट को पैदा करने के लिए मल्टीपल म्यूटेशन की जरुरत होती है. नए वैरियंट से लड़ने का तरीका भी लगभग वही रहता है.


भारत में मार्च के महीने से ही कोरोना के वैक्सीन लगाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. टीकाकारण कार्यक्रम को लेकर भारत काफी गंभीर है. रोजाना लाखों लोगों को भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड लगाई जा रही है. वैक्सीन के कारण लोगों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव भी भारत में पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है.


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