Champions Of The Earth: डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन को UN ने दिया 'चैंपियंस ऑफ द अर्थ' अवॉर्ड, जानें क्या है उनकी उपलब्धि
Champions Of The Earth: यूएनईपी की वेबसाइट के मुताबिक, पांच साल की उम्र में बर्मन को असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नजदीक रहने वाली अपनी दादी के पास भेज दिया गया था.
बर्मन को संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के इस साल के चैंपियंस ऑफ द अर्थ पुरस्कार की एंटरप्रेन्योरल विजन (उद्यमिता दृष्टिकोण) श्रेणी में सम्मानित किया गया है. वन्य जीव विज्ञानी बर्मन हरगिला आर्मी (The Hargila Army) का नेतृत्व करती हैं, जो सारस को विलुप्त होने से बचाने के लिए समर्पित आंदोलन है, जिसमें केवल महिलाएं शामिल हैं.
जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है
महिलाएं सारस पक्षी जैसे मुखौटे बनाती और बेचती हैं, जिससे अपनी वित्तीय स्वतंत्रता के साथ ही विलुप्त होती प्रजाति के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है. यूएनईपी की वेबसाइट के मुताबिक, पांच साल की उम्र में बर्मन को असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नजदीक रहने वाली अपनी दादी के पास भेज दिया गया था.
दादी से गीत सीखें
चैंपियंस ऑफ द अर्थ से सम्मानित डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन ने कहा, "मैंने सारस और पक्षियों की कई अन्य प्रजातियों को देखा. उन्होंने (दादी) मुझे पक्षियों से जुड़े गीत सिखाए. उन्होंने मुझसे बगुले और सारस के लिए गाने को कहा और फिर मुझे पक्षियों से प्यार हो गया."
पीएम मोदी को भी मिल चुका है सम्मान
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 2018 में संयुक्त राष्ट्र के सर्वोच्च पर्यावरण पुरस्कार चैंपियंस ऑफ द अर्थ से सम्मानित किया जा चुका है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव गुटारेस ने सम्मानित किया था. पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान के देने के लिए चैंपियंस ऑफ द अर्थ से नवाजा जाता है. इसी साल 21 अप्रैल‚ 2022 को UNEP ने ब्रिटेन के प्रसिद्ध प्रकृति संरक्षणवादी सर डेविड एटनबरो को प्रतिष्ठित चैंपियंस ऑफ द अर्थ लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड 2021 देने की घोषणा की गई.