स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के बृहस्पतिवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. ज्यूरिख स्थित स्विट्जरलैंड के केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण द्वारा जारी वार्षिक बैंकिंग आंकड़ों के अनुसार स्विस बैंकों में सभी विदेशी ग्राहकों का कुल जमा धन भी 2018 में चार प्रतिशत घटकर 1,400 अरब स्विस फ्रैंक यानी 99 लाख करोड़ रुपये रह गया. हालांकि, ‘‘बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट (बीआईएस) के ‘गंतव्य के हिसाब से बैंकिंग सांख्यिकी के अनुसार स्विस बैंकों में भारतीय लोगों का जमा धन 2018 में अधिक यानी 11 प्रतिशत घटा है.
भारत और स्विट्जरलैंड की सरकार ने पिछले साल कहा था कि यह भारतीयों के यहां के बैंकों में जमा धन के आकलन का अधिक विश्वसनीय उपाय है. एसएनबी के अनुसार स्विट्जरलैंड के बैंकों की भारतीय ग्राहकों के प्रति कुल देनदारियों के आंकड़ों में भारतीय ग्राहकों के स्विस बैंकों में जमा कुल कोष को लिया गया है. इसमें लोगों, बैंकों और उपक्रमों का जमा शामिल है. इसमें भारत में स्विट्जरलैंड के बैंकों का डेटा और साथ में गैर जमा देनदारियां भी शामिल हैं.
एसएनबी ने जिस कोष को स्विस बैंकों की देनदारियों के रूप में दिखाया है वे बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए आधिकारिक आंकड़े हैं. इनसे भारतीयों के स्विट्जरलैंड में जमा कथित काले धन का संकेत नहीं मिलता है जिसको लेकर काफी बहस छिड़ी हुई है. इन आधिकारिक एसएनबी आंकड़ों में वह धन भी शामिल नहीं है जो भारतीयों, प्रवासी भारतीयों ने स्विट्जरलैंड के बैंकों में अन्य देशों की इकाइयों के रूप में जमा कराया है. एसएनबी के आंकड़ों के अनुसार 2017 में भारतीय ग्राहकों के प्रति स्विट्जरलैंड के बैंकों की देनदारी 50 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 1.01 अरब स्विस फ्रैंक या 7,000 करोड़ रुपये पर पहुंच गई. इससे पिछले तीन साल इसमें गिरावट आई थी.
हालांकि, 2018 में यह राशि घटकर 95.47 करोड़ स्विस फ्रैंक पर आ गई. इनमें ‘जिम्मेदारी’ या संपदा प्रबंधकों द्वारा रखी गई डेढ़ करोड़ स्विस फ्रैंक की राशि भी शामिल है. यह दो दशक में स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के जमा का दूसरा निचला स्तर है.