Former PM Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मंगलवार (8 नवंबर) को टीआईओएल हेरीटेज अवॉर्ड कार्यक्रम में ऑनलाइन हिस्सा लिया. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर मनमोहन सिंह ने लोगों को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास, सामाजिक परिवर्तन और राजनीतिक सशक्तिकरण ने भारतीयों की नई पीढ़ी की आकांक्षाओं को जगाया है, जो बदले में सरकारों पर दबाव डाल रहे हैं. मीडिया को चौकन्ना रहने की जरूरत है और उसे शासन की दक्षता को बेहतर करने के लिए सरकार की कमियों को उजागर करना चाहिए.


मनमोहन सिंह ने यह उल्लेख किया कि भारतीयों की पूरी एक नई पीढ़ी उभरी है, जो आकांक्षी है और बेहतर कामकाज करने व पारदर्शी होने के लिए सरकार पर दबाव बढ़ा रही है. सिंह ने वित्त मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल को याद करते हुए कहा कि वह एक (आर्थिक) संकट के बीच राजनीति में आये थे. साल 1991 में भारत बाहरी मोर्चे पर कई चुनौतियों का सामना कर रहा था.


'1990-91 का संकट आपको याद ही होगा'


मनमोहन सिंह ने कहा, "आप में से ज्यादातर को 1990-91 सिर्फ भुगतान संतुलन का संकट याद होगा, लेकिन इस संकट की पृष्ठभूमि में कहीं अधिक बड़ी चुनौती थी और वह थी वैश्विक द्विध्रुवीय व्यवस्था का टूटना." सिंह ने कहा कि वित्त मंत्री के तौर पर उन्हें न सिर्फ राजकोषीय घाटे में कमी लानी थी, आर्थिक वृद्धि में नयी जान फूंकनी थी, बल्कि रुपये (के डॉलर के मुकाबले मूल्य) को भी स्थिर करना और पर्याप्त विदेशी मुद्रा लानी थी.


'मैंने राष्ट्र के हितों की रक्षा की'


मनमोहन सिंह ने कहा, "उस नाजुक समय में, मैंने कहा था कि आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने के विचार को मूर्त रूप देने का वक्त आ गया है. वित्त मंत्री के तौर पर मैंने समता और न्याय के प्रति प्रतिबद्ध रहते हुए राष्ट्र के हितों की रक्षा की."


लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका पर पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, "मीडिया ने राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया है. हम मीडिया से चौकन्ना रहने और इस तरह शासन की दक्षता को बेहतर बनाने में मदद करने की उम्मीद करते हैं." कार्यक्रम में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान एक करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर लाया गया.


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