एक साल में भारतीयों ने इम्यूनिटी बूस्टर ड्रग्स खरीदने के लिए खर्च किए 15 हजार करोड़
आंकड़े बताते हैं कि भारतीय नागरिकों ने विटामिन सप्लीमेंट और दूसरे इम्यूनटि बूस्टर्स पर पिछले 12 महीनों में 15 हजार करोड़ रूपये खर्च किए हैं. इम्यूनिटि बूस्टिंग, विटामिन ड्रग्स और मिनरल सप्लीमेंट की बिक्री 14,587 करोड़ रूपये रही जो कि पिछले साल से 20 प्रतिशत ज्यादा है. सिर्फ विटामिन डी की बिक्री का आंकड़ा 817 करोड़ रहा और ये 40 प्रतिशत ज्यादा रहा. इसी तरह जिंक सप्लीमेंट की बिक्री का आंकड़ा183 करोड़ रहा.
कोविड महामारी के दौरान जहां कई तरह की दवाईयों की बिक्री बढ़ी वहीं दोनो ही लहर में एक शब्द आमजन में प्रचलित हुआ और वो है इम्यूनिटी. हर तरफ से यही आवाज आ रही थी कि कोरोना से बचाव के लिए इम्यूनिटी स्ट्रांग होनी चाहिए. इसके चलते भारतीय नागरिकों ने पिछले 12 महीनें में फेवीपीराविर, रेमिडिसिविर और एजीथ्रोमाईसिन दवाओं के अलावा एंटी-वायरल और एंटी बॉयोटिक्स दवाओं पर 15 हजार करोड़ रूपए खर्च किए.
आंकड़ा पिछले साल से कहीं ज्यादा
इस साल खरीदी गई इम्यूनिटि बूस्टर दवाओं की खरीदारी की तुलना पिछले साल की इस अवधि से करें तो इस बार ये पांच गुना रही. दवाईयों की बिक्री कोरोना या फिर दूसरी जरूरतों के लिए ज्यादा हुई है. ऑल इंडिया ऑर्गेनाईजेशन ऑफ कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट का डाटा बताता है कि जून 2020-मई 2021 के समयंतराल में भारीयों ने 1220 करोड़ की एंटीवायरल और फेवीपीराविर, 833 करोड़ की रेमिडिसिविर खरीदीं. एंटीबायोटिक एजीथ्रोमाइसिन के लिए 992 करोड़ खर्च किए गए जो कि 38 प्रतिशत ज्यादा रही. डॉक्सीसाइसिलीन की बिक्री तीन गुना होकर 85 करोड़ रूपये पर पहुंची. वहीं एंटी पैरास्टिक ड्रग आइवरमेकटिन की बिक्री 10 गुना बढ़ी और इसके लिए 237 करोड़ रूपए खर्च हुए.
इम्यूनिटि बूस्टिंग, विटामिन ड्रग्स और मिनरल सप्लीमेंट भी बिके
इम्यूनिटि बूस्टिंग, विटामिन ड्रग्स और मिनरल सप्लीमेंट की बिक्री 14,587 करोड़ रूपये रही जो कि पिछले साल से 20 प्रतिशत ज्यादा है. सिर्फ विटामिन डी की बिक्री का आंकड़ा 817 करोड़ रहा और ये 40 प्रतिशत ज्यादा रहा. इसी तरह जिंक सप्लीमेंट की बिक्री का आंकड़ा183 करोड़ रहा.
AIOCD ने डाटा स्टॉकिस्ट से लिया
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर कृष्णानाथ मुंडे का कहना है कि ऑल इंडिया ऑर्गेनाईजेशन ऑफ कैमिस्ट एंड ड्रगिस्ट (AIOCD) का ये डाटा ड्रग्स स्टॉकिस्ट से लिया गया है इसमें दवाईयों की वो सप्लाई शामिल नहीं जो कंपनियां सीधे अस्पतालों या फिर दूसरे बड़े स्वास्थ्य संस्थानों को डायरेक्ट देती हैं. वहीं AIOCD AWACS के मार्कीटिंग प्रेसिडेंट का कहना है कि दूसरी लहर के ट्रीटमेंट में काम आने की वजह से एंटी वायरल फेवीपीराविर और रेमिडिसिविर की मांग सबसे ज्यादा थी.
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