नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को कहा कि उसने नेपाल के नए मानचित्र में उत्तराखंड के कालापानी, धारचुला और लिपुलेख को शामिल करने के मुद्दे को लेकर नेपाल सरकार के समक्ष अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है और आशा व्यक्त की कि पड़ोसी देश दोनों देशों के सांस्कृतिक और मैत्रीपूर्ण संबंधों का खयाल रखेगा.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है. भारत, नेपाल के साथ अपने सभ्यता से जुड़े सांस्कृतिक और दोस्ताना संबंधो को काफी महत्व देता है.’’ उन्होंने कहा कि हमारी बहुआयामी द्विपक्षीय साझेदारी हाल के वर्षों में काफी बढ़ी है और उनका विविधीकरण हुआ है. इसमें भारत सरकार की तरफ से नेपाल को मानवीय सहायता देना, विकास और परियोजना सम्पर्क में मदद शामिल है.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि क्षेत्र में कोविड-19 से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साझा रणनीति के तहत भारत ने हाल ही में नेपाल सहित सभी मित्रवत पड़ोसी देशों तक पहुंच स्थापित की है.


उन्होंने कहा कि भारत ने नेपाल को हरसंभव तकनीकी, चिकित्सकीय और मानवीय सहायता पहुंचायी है. उन्होंने कहा कि हमने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन, पैरासिटामोल, जांच किट एवं अन्य चिकित्सा आपूर्ति उपलब्ध कराई.


श्रीवास्तव ने कहा कि भारत सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया कि दोनों ओर लॉकडाउन लागू होने के बावजूद नेपाल से कारोबार एवं उसे आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित न हो. भारत ने मानवीय आधार पर बाहर फंसे नेपाली नागरिक को पहुंचाने में भी मदद की.


गौरतलब है कि नेपाल ने हाल ही में एक नया राजनीतिक मानचित्र (नक्‍शा) स्वीकार किया है जिसमें लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र में दर्शाया गया है. भारत ने नेपाल के इस कदम पर कड़ा विरोध जताया है और उसका कहना है कि ये क्षेत्र उसके हैं. नेपाली संसद में इस नये मानचित्र पर शनिवार को मतदान होने की उम्मीद है.