नई दिल्ली: देश के पहले बिना इंजन वाले ट्रेन ने अपने मानक 180 किमी/घंटे के रफ्तार को पीछे छोड़ते हुए एक नया कीर्तिमान रचा है. ट्रेन ने यह करनामा कोटा से सवाई माधोपुर के बीच ट्रायल रन के दौरान किया. वैसे तकनीकी तौर पर इस ट्रेन को 160 किमी प्रति घंटे के रफ्तार से चलाने के लिए बनाया गया है. 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पटरी पर दौड़ने के बाद टी-18 ट्रेन देश की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन हो गई है.


इस संबंध में रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया है जिसमें ट्रेन के ट्रायल रन का वीडियो है. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस ट्रेन के बारे में बताया कि उन्हें उम्मीद है कि अगले साल जनवरी से यह परिचालन में आ जाएगी. उन्होंने कहा कि हालांकि, ट्रेन का ट्रायल रन तीन महीने का होता है, लेकिन टी-18 का ट्रायल रन काफी तेजी के साथ हो रहा है. इस ट्रेन में 16-17 कोच होंगे.


ट्रेन-18 का पहली बार टेस्ट 29 अक्टूबर को किया गया था. यह देश की पहली बिना इंजन वाली सेमी हाईस्पीड ट्रेन है. इसका नाम 'टी 18' दिया गया है. इस ट्रेन को मेक इन इंडिया के तहत चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में बनाया गया है. इसकी रफ्तार वैसे तो 160 किमी प्रति घंटा है, लेकिन ट्रायल में इसने दिखा दिया कि यह 180 किमी प्रति घंटे से भी अधिक की गति से दौड़ सकती है.


रेल मंत्रालय के मुताबिक, 'टी 18' मौजूदा शताब्दी एक्सप्रेस के बेड़े के ट्रेनों की जगह लेगी. उन्होंने कहा कि आईसीएफ इस तरह के छह ट्रेनों का सेट तैयार करेगी.


ट्रेन-18 में हैं ये सुविधाएं-


- ट्रेन 18 इंटर-कनेक्टेड, ऑटोमेटिक दरवाजा, वाई-फाई और इंफोटेमेंट, जीपीएस आधारित यात्री सूचना प्रणाली, घूमने वाली सीटें, जैव-वैक्यूम प्रणाली और माड्यूलर शौचालय से लैस है.


- साल 2018 में ट्रेन बनने की वजह से इसका नाम टी-18 दिया गया है. ट्रेन का वजन काफी कम होगा, कोच की पूरी बॉडी एल्यूमिनियम की बनाई गई है.


- 16 कोचों वाली ये ट्रेन शताब्दी की तुलना में सफर के समय को 15 प्रतिशत तक घटा सकती है. ट्रेन को महज 18 महीनों में तैयार किया गया है.


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