आजाद भारत का पहला चुनाव जूनागढ़ में हुआ और तय हुआ कि ये पाक नहीं बल्कि भारत का हिस्सा होगा
आज़ाद भारत का पहला चुनाव गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था. लोगों ने तय किया था कि उन्हें पाकिस्तान का नही बल्कि हिंदुस्तान का हिस्सा बने रहना है.
अहमदाबादः आज़ाद भारत का पहला चुनाव गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था. लोगों ने तय किया था कि उन्हें पाकिस्तान का नही बल्कि हिंदुस्तान का हिस्सा बने रहना है.
गुजरात मे जल्द चुनाव होने वाले हैं. यहां चुनाव इससे पहले भी हुए हैं और आगे भी होंगे लेकिन खास बात या है कि आज़ाद भारत का सबसे पहला चुनाव भी गुजरात मे ही हुआ था. जूनागढ़ रियासत के लोगों ने पहली बार 1948 में चुनाव में हिस्सा लेकर यह तय किया कि उन्हें पाकिस्तान का नही बल्कि हिंदुस्तान का हिस्सा बने रहना है.
अगर आज़ादी के बाद यहां के नवाब महाबत खान की मर्ज़ी चल जाती तो आज जूनागढ़ पाकिस्तान का हिस्सा होता. बंटवारे के बाद जब सरदार वल्लभ भाई पटेल 500 से ज्यादा रियासतों का विलय कर रहे थे तब सभी शासकों ने एक से बढ़कर एक परेशानियां पैदा की. हालांकि पटेल भी लोहे के बने थे, उनके आगे रियासतों को झुकना ही पड़ा.
आज़ाद भारत का पहला चुनाव भी कोई छोटा-मोटा चुनाव नही था. यहां की जूनागढ़ रियासत में 1 लाख 9 हज़ार 779 लोगों ने यह तय किया था कि वो हिंदुस्तान का हिस्सा बनेगा.
जूनागढ़ में इतिहासकार परिमल रूपानी बताते हैं कि भारत और पाकिस्तान में से जूनागढ़ की जनता की पसंद कौन है ये जानने के लिए 20 फरवरी 1948 को जूनागढ़ में जनमत संग्रह करवाया गया. इस चुनाव के लिए लाल और हरे रंग के बैलट बॉक्स रखवाए गए. तय हुआ कि लाल डिब्बे में भारत और हरे डिब्बे में पाकिस्तान के पक्ष में मत डाले जाए.
दरअसल आज़ादी के बाद जूनागढ़ का नवाब महाबत खान पाकिस्तान में विलय के लिए आमादा था जबकि उसके राज्य की बहुसंख्यक हिन्दू जनता भारत में विलय के पक्ष में थी. जूनागढ़ के नवाब ने क्या कुछ नहीं किया लेकिन जब सारी चालें उल्टी पड़ने लगीं तो वह खुद अपना सारा साम्राज्य छोड़ पाकिस्तान भाग निकले. नवाब के वंशज आज भी पाकिस्तान में हैं लेकिन अच्छे हालात में नहीं है.
जूनागढ़ में नवाब मुहम्मद महाबत खान और बेनज़ीर भुट्टो के दादा और नवाब के दीवान शाहनवाज भुट्टो की मंशा हिन्दू बहुसंख्यक आबादी के बावजूद पाकिस्तान में विलय की थी. मोहम्मद अली जिन्ना ने उन्हें पाकिस्तान में विलय के लिए बड़े बड़े सपने दिखाए थे हालांकि इन सपनों को हकीकत बनने से लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने रोका.
आखिरकार नवाब महाबत खान अपनी जान को खतरे के डर से 24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान भाग गए. उनके डर का यह आलम था कि वो अपनी 9 में से 2 बेगमों को यही भूल गए. 20 फरवरी 1948 को जूनागढ़ में हुए आज़ाद भारत के पहले चुनाव में 1,09,688 लोगों ने भारत के पक्ष में मत दिया और केवल 91 लोगों ने पाकिस्तान के पक्ष में और ऐसे आज के जूनागढ़ का भविष्य तय हुआ.