नई दिल्ली: धरती पर 32 लाख वर्ग किमी का क्षेत्रफल, 130 करोड़ से ज़्यादा की आबादी, और ऐसा दुश्मन जो नँगी आँखों से नज़र तक नहीं आता. महज़ 12 हफ्तों में पूरी दुनिया को हिला देने वाले नोवल कोरोना वायरस से लड़ाई भारत जैसे मुल्क के लिए अपने आप में बड़ी चुनौती है. मगर इस जानलेवा वायरस से देश को बचाने की लड़ाई बीते तीन महीनों से 24x7 लगातार चल  रही है और इस मोर्चे के सिपाही हैं इंडलटीग्रेटेड डिसीज़ सर्वेलेन्स प्रोग्राम और रेपिड रेस्पॉन्स टीमों सहित राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के चुस्त सिपाही.


आपके मन में यह सवाल उठना लाजिमी है कि इतने बड़े देश के किसी कोने में अगर किसी को कोई बीमारी होती है तो आखिर पता कैसे लगेगा? साथ ही जब कोरोना संकट में संक्रमण का शिकार हुए हर व्यक्ति के कॉन्टेक्ट को किस तरह ट्रेस किया जा रहा है? यह तंत्र आखिर काम कैसे करता है? किस तरह देश में इतनी बड़ी आबादी की सेहत पर निगरानी रखी जा रही है? इन सारे सवालों के जवाब और निगरानी का पूरा ताना बाना जुड़ा है राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत काम करने वाले इंटेग्रेटेड डिसीज़ सर्वेलेन्स प्रोग्राम से. जिसमें दिल्ली के नेशनल डिसीज़ कंट्रोल सेंटर और स्वास्थ्य मंत्रालय से देश का लगभग हर प्रमुख इलाका जुड़ा है. बीमारी का कोई भी अलर्ट महज़ कुछ सेकंड में देश के किसी भी हिस्से में सामने आने वाले कोविड19 पॉज़िटिव मामले और उसके सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति की ट्रेकिंग करने वाली टीमों को सक्रिय कर देता है.


राजधानी दिल्ली के निर्माण भवन स्थित स्वास्थ्य मंत्रालय में हर रोज़ शाम पाँच बजे देश के सभी डिसीज़ सर्वेलेन्स अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग होती है. इस बैठक में हर दिन देशभर में सामने आए कोविड19 के मामलों की समीक्षा की जाती है. हर एक पॉज़िटिव मामले की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग का लेखा-जोखा साझा किया जाता है. साथ ही बनती है आगे की रणनीति. हालांकि इस कवायद से पहले सभी राज्यों में मौजूद राज्य डिसीज सर्वेलेन्स अधिकारी अपने सूबे के हर जिले में मौजूद कॉल सेंटर और टीमों से शाम 4:30 तक दिन भर की जानकारी लेते हैं.


स्वास्थ्य मंत्रालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि देश के हर राज्य में एक कंट्रोल रूम चौबीसों घण्टे काम करे. साथ ही कोविड19 से जुड़े हर सवालों और शिकायतों का जवाब देने वाला कॉल सेंटर भी हो . इसके अलावा बीमार मरीजों, लैब्स में लिए जा रहे नमूनों से लेकर मीडिया में इस बीमारी को लेकर चल रही खबरों पर भी बराबर नज़र रखी जाए. यह देशव्यापी नेटवर्क  राजधानी दिल्ली से मुल्क के कोने कोने में मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्तर तक हर वक्त अलर्ट पर है. इसके चलते किसी भी संदिग्ध कोविड19 संक्रमित केस की सूचना मिलने पर उसके रिहायशी इलाके की नजदीकी स्वास्थ्य टीम को पड़ताल के लिए पहुँचा दिया जाता है. यह टीम मामले की ज़मींनी स्थिति आंकते हुए आगे की कार्रवाई करती है.


इतना ही नहीं, इसरो के सैटेलाईट की मदद से देश के 375 से अधिक स्वास्थ्य केंद्र किसी भी वक्त सीधे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ सकते हैं. यह सहूलियत वर्चुअल वॉर रूम और सिचुएशन रूम की तरह काम करती है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक देश के हवाई अड्डों पर तैनात स्वास्थ्य स्क्रीनिंग करने वाली टीमों को भी वक्त ज़रूरत के मुताबिक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ा जाता है. ताकि ज़रूरत के मुताबिक बदल रहे निर्देशों पर मुकम्मल अमल हो सके. इसके अलावा उनकी समस्याओं का भी निपटान किया जा सके.


निगरानी तंत्र में सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों से लेकर निजी अस्पतालों तक हर जगह फैला स्वास्थ्य सैनिकों का यह पूरा जाल हर मरीज के मामले और उसमें होने वाले बदलावों पर नज़र रख रहा है. इस कड़ी में नवम्बर 2018 में शुरू हुआ इंटेग्रेटेड हेल्थ इन्फॉर्मेशन प्लेटफॉर्म  IHIP और उसके लिए तैयार मोबाइल एप भी कोविड19 से लड़ाई में भारत के स्वस्थ्य निगरानी तंत्र के लिए खासा मददगार साबित हो रहा है.


इसके जरिए बीमारों की जानकारी भी लगभग रियल टाइम में नेशनल कंट्रोल रूम फ़ॉर डिसीज कंट्रोल के पास अपडेट हो रही है. इस तंत्र की सक्रियता का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारत में कोविड19 के पहले दो पॉज़िटिव मामलों के सामने आने पर जहाँ स्वास्थ्य निगरानी टीमों ने उनके सम्पर्क में आए 185 से ज़्यादा लोगों की पहचान कर उनसे सम्पर्क किया. वहीं इस वक्त देश में 70 हज़ार से ज़्यादा लोग इस तंत्र की सामुदायिक निगरानी में हैं.


बेहद संक्रामक इस बीमारी से निपटने में सेहत के सिपाहियों का अपना बचाव भी ज़रूरी है. लिहाज़ा संदिग्ध मरीज से लेकर पॉज़िटिव पेशेन्ट की साज-संभाल, उसके नमूनों की जाँच और यहाँ तक कि मरने वाले मरीजों के अंतिम संस्कार की सावधानियों तक कई दिशा निर्देश ज़मीनी टीमों के लिए जारी किए जा चुके हैं.


इस निगरानी तंत्र जुड़े अधिकारियों के मुताबिक चीन में कोरोना वायरस संकट की पहली आहट के साथ अपना बचाव मजबूत करने की कवायद आज भारत के लिए कारगर साबित हो रहा है. कोविड19 संकट पर स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता लव अग्रवाल के मुताबिक भारत ने 7 जनवरी को चीन में नोवल कोरोना वायरस का पहला मामला आधिकारिक तौर पर रिपोर्ट किए जाने के बाद सामने आने के बाद ही अपने स्वास्थ्य तंत्र के साथ व्यापक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर इस संकट से उन्हें आगाह कर दिया था.


जनवरी 8 से जहाँ निगरानी तंत्र को सक्रिय कर दिया गया. वहीं 17 जनवरी से भारत ने चीन से आने वाली उड़ानों की स्क्रीनिंग और वीज़ा पाबंदियों को लागू करने की कवायद शुरू कर दी थी. हालांकि फिर भी यह लड़ाई ऐसी है जिमसें स्थिति पल पल बदलती है. ऐसे में सारी कवायद इस बात की है कि किस तरह इस संक्रामक रोग को फैलने से रोका जा सके.


अधिकारिक सूत्रों का मानना है कि यूरोप और खड़ी देशों से इस बीमारी के आने की आशंका कम थी लिहाज़ा दरवाज़े बन्द करने और व्यापक क्वारन्टीन कार्यक्रम लागू करने से पहले ही कई विदेशी व भारतीय नागरिक आ गए. जिनके साथ यह संक्रमण भी दाखिल हुआ. इसका अंदाज़ा 16 इतालवी पर्यटकों, स्पेन और दुबई से आए लोगों और उनसे संक्रमित हुए नागरिकों की संख्या देखकर लगाया जा सकता है.


विदेश मंत्रालय में काम कर रहा 24x7 कोविड सेल
कोविड19 भारत के लिए एक घरेलू स्वास्थ्य संकट ही नहीं अंतर राष्ट्रीय संकट भी है. देश के करीब 2000 लोगों को विशेष उड़ानों के जरिए विदेशों से वापस लाने के साथ साथ दूसरे मुल्कों में फंसे अपनी नागरिकों तक मदद पहुँचाने की भी चुनौती है. इस कड़ी में विदेश मंत्रालय ने विशेष कोविड सेल बनाया गया है जिसकी अगुवाई अतितिक सचिव स्तर के अधिकारी कर रहे हैं. रात-दिन यह केंद्र दुनियाभर से मदद की मांग को लेकर आ रहे भारतीय नागरिकों के
फोनकॉल और ईमेल का जवाब दिया जा रहा है.


सरकारी सूत्रों के मुताबिक हर दिन करीब दो हज़ार से ज़्यादा फोनकॉल आ रहे हैं. विदेशों में अब भी क़ई भारतीय मुश्किल हालात में फंसे हैं. हालांकि गुरुवार को सरकार ने सलाह दी कि बनती कोशिश सभी भारतीय अनावश्यक आवाजाही से बचें.अगर विदेशों में हैं तो वहीं रहें.क्योंकि हड़बड़ी क़ई आवजाही में वो अपनी और अपने परिजनों की जान को खतरे में डाल रहे सकते हैं. इस बीच यदि उन्हें संकट में कोई मदद चाहिए हो तो अपने नजदीकी भारतीय दूतावास से मदद के लिए सम्पर्क करें. अगर कोई बहुत संकट की स्थिति बनती है तो सरकार उन्हें सुरक्षित भी निकालेगी.


इस राष्ट्रीय संकट के बीच शीर्ष स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जहां निगरानी कर रहे हैं. वहीं स्वास्थ्य, विदेश, नागरिक उड्डयन, फार्मास्युटिकल समेत विभिन्न मन्त्रियों वाला मंत्री समूह ज़रूरी नियमन कर रहा है. इसके अलावा कैबिनेट सचिव राजीव ग्वाबा की अगुवाई में सचिवों की समिति राज्यों के प्रशासनिक तंत्र के साथ लगातार संवाद बनाए हुए है.


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